Madhya Pradesh farmers: आप ने अक्सर देखा होगा कि किसान अपने खेतों में कीटनाशक दवाओं के साथ यूरिया और डीएपी खाद का खेती में अधिक उपयोग करता है, जिससे उसके खेतों में मौजूद जीव जंतु और अन्य जीव कीटनाशक दवाओं और रासायनिक खाद के कारण नष्ट हो जाते हैं. इसके कारण किसान के खेतों की मिट्टी कठोर हो रही है और किसानों की फसल भी कम होती है. किसान खाद पर खाद फसल में फेंकता रहता है और उसको नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में मध्य प्रदेश के एक किसान ने खुद से एक खाद तैयार किया है, जिसके इस्तेमाल से उनकी फसल को जबरदस्त फायदा हुआ.
किसान ना केवल अपनी खेती में केवल जैविक खाद का उपयोग करता है, सीहोर से लगभग 10 किलोमीटर दूर गांव छापरी भरतपुर में युवा किसान दीपक परिहार द्वारा जैविक खेती की जा रही है. यहां खेतों में गौ मूत्र और एक बड़ी टंकी में छाछ, कद्दू, एलोबेरा, गाय का गोबर, सोयाबीन पाउडर सभी को मिक्स करके एक दवाई तैयार की जाती है.
वह इसको स्प्रे पम्प की मदद से खेतों में छिड़काव करके अपने खेतों को कीटनाशक दवाओं से मुक्त बना कर अच्छी फसल लेते हैं और किसान यूरिया और डी ए पी खाद को छोड़ कर अपने पशुओं के गोबर से किसान खुद खाद बनाता है और खेतों में फलों के बगीचों में डालता है. इससे किसान को ये फायदा होता है कि उसके फलों के बगीचे के छोटे-छोटे पौधे में फल आने लगते हैं और ये शरीर के लिए अच्छे होते हैं. बिना किसी दवाई के अच्छे फल किसानों को मिलते हैं और इससे अच्छी मोटी कमाई भी होती है.
क्या बोले कृषि वैज्ञानिक?
इस विषय को लेकर कृषि वैज्ञानिक आर पी सिंह से हुई तो उन्होंने बताया कि किसानों का हमेशा कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन भी मिलता है. समय-समय पर और किसानों को वैज्ञानिकों के द्वारा अच्छे सुझाव भी दिए जाते हैं. किसान अच्छा काम कर रहे हैं. जैविक खेती की और बढ़ रहे हैं. इससे उनको अच्छा फायदा होगा. फसल अच्छी होगी ,अच्छा मुनाफा होगा. जैविक खाद से किसानों की जो मिट्टी कठोर होती जा रही है वो नरम होगी. केंचुआ खाद अच्छा साबित होगा. फसल के लिए हम किसानों को और आगे भी इसी प्रकार से जैविक खेती के लिए प्रेरित करेंगे.
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