Madhya Pradesh Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में बीच में ही मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ (Madhya Pradesh Congress Chief Kamal Nath) अपनी पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपने गढ़ छिंदवाड़ा (Chhindwara) में इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) से कड़ी चुनौती मिल रही है. छिंदवाड़ा के निवर्तमान विधायक कमलनाथ का 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी विवेक बंटी साहू (BJP Candidate Banti Sahu) से मुकाबला है. कमलनाथ खुद को ‘हनुमान भक्त' के रूप में पेश करते हैं जबकि साहू ‘शिवभक्त' के रूप में जाने जाते हैं.
पिछले चुनाव में यह रहा था परिणाम
इन दोनों के बीच 2018 के विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election 2018) में भी टक्कर हुई थी और कमलनाथ ने 25,837 मतों के अंतर से साहू को पराजित कर दिया था. तब से साहू अपनी हार का बदला लेने की कोशिश में हैं. उन्हें भाजपा ने इस चुनाव में भी अपना प्रत्याशी बनाया है और पार्टी ने अपनी पूरी संगठनात्मक मशीनरी उनके साथ लगा दी है.
बीजेपी ने चलाया था दूरबीन अभियान
इस बात की पूरी संभावना है कि कमलनाथ कांग्रेस के जीतने की स्थिति में मुख्यमंत्री बनेंगे. छह महीने पहले भाजपा की जिला इकाई ने एक वाहन पर दूरबीन रखकर अभियान चलाया था और कहा था कि वह कमलनाथ को ढूंढ़ रही है जो पिछला चुनाव जीतने के बाद छिंदवाड़ा से ‘‘गायब'' हो गए हैं. अपने इस अभियान से भाजपा ने यह बात साबित करने की कोशिश की थी कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जीत के बावजूद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए काम नहीं कर रहे हैं.
मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं दोनों उम्मीदवार
दोनों ही प्रत्याशी छिंदवाड़ा के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपने धार्मिक रुझान के बारे में शेखी बघारते हैं. छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और दोनों ही निर्वाचन क्षेत्र इसी नाम से जाने जाते हैं. मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के चेहरे कमलनाथ खुद को ‘संकटमोचन' हनुमान का भक्त दिखाने का कोई मौका नहीं जाने दे रहे. उन्होंने छिंदवाड़ा में हनुमान की 102 फुट से अधिक ऊंची प्रतिमा लगवाई थी.
इसी तरह भाजपा प्रत्याशी साहू भी भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा दिखाने में पीछे नहीं हैं. उन्होंने इस साल छिंदवाड़ा में भगवान शिव की 84 फुट ऊंची प्रतिमा लगवाई थी. वह कमलनाथ की तरह पूजा-अर्चना करने के बाद ही अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू करते हैं.
कमलनाथ के इस कदम की उन्हीं की पार्टी के कुछ लोगों ने आलोचना भी की थी. अगस्त में कमलनाथ ने तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम में अपने गृह क्षेत्र में शास्त्री की मेजबानी को लेकर उनकी आलोचना करने वालों पर पलटवार किया था और कहा था कि यह कहने की कोई जरूरत नहीं है कि ‘‘भारत हिंदू राष्ट्र है क्योंकि 82 प्रतिशत भारतीय तो हिंदू ही हैं.''
वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हाल में छिंदवाड़ा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘‘मुझे हिंदू भावनाओं के प्रति कमलनाथ जी का प्रेम दिखता है, कभी-कभी हनुमानजी के भक्त के रूप में. यह अच्छी बात है कि यहां धार्मिक अनुष्ठान हुआ.'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आप अपने दोस्त और सहयोगी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के बेटे और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे द्वारा सनातन धर्म के प्रति दिखाए गए असम्मान के खिलाफ क्यों नहीं बोल रहे हैं?''
भाजपा टीम कमलनाथ को उनके ही निर्वाचन क्षेत्र से उखाड़ फेंकने में लगी हुई है
दिल्ली और भोपाल से भाजपा के चुनावी प्रबंधक अपने प्रत्याशी के पक्ष में लहर का रुख मोड़ने की कोशिश में छिंदवाड़ा में डेरा डाले हुए हैं. इतना ही नही, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात की भी भाजपा टीम कमलनाथ को उनके ही निर्वाचन क्षेत्र से उखाड़ फेंकने के लिए यहां दिन-रात लगी है. लेकिन कांग्रेस नेता कमलनाथ ऐसी राजनीतिक ताकत रहे हैं जो 1980 से रिकॉर्ड नौ बार छिंदवाड़ा लोकसभा सीट जीत चुके हैं.
अहमदाबाद के उपमहापौर बिपिन रामस्वरूप की टीम के एक सदस्य ने पीटीआई-भाषा से कहा कि शुक्रवार को मतदान हो जाने के बाद ही यह टीम छिंदवाड़ा से जाएगी.
कांग्रेस यह कहकर लोगों से वोट मांग रही है कि उनका वोट न केवल छिंदवाड़ा के उज्ज्वल भविष्य के लिए, बल्कि मध्य प्रदेश के लिए भी अहम है क्योंकि पार्टी के जीतने की स्थिति में कमलनाथ मुख्यमंत्री बन सकते हैं. साहू ने कहा, ‘‘मुझे चुनाव में जीत का शत-प्रतिशत विश्वास है.''
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