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Crime News : आत्माराम पारदी हत्याकांड में 8 साल से फरार है थानेदार, अब RTO पर भी केस दर्ज, जानिए पूरा मामला

MP News : गुना बस हादसे के बाद जब वाहनों के रजिस्ट्रेशन को लेकर जांच पडताल शुरू हुई तो वहां फाइलों में दबाकर रखा गया यह मामला भी सामने आ गया. अब इसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर गुना की तत्कालीन RTO मधु सिंह और आरटीओ के बाबू पर 420, 467, 471, 197, 198, 463,465 के तहत केस दर्ज किया गया. यह कार्यवाही हत्या के मामले में फरार थानेदार की गाड़ी को फर्जी तौर पर ट्रांसफर करने के लिए की गयी है.

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Crime News : आत्माराम पारदी हत्याकांड में 8 साल से फरार है थानेदार, अब RTO पर भी केस दर्ज, जानिए पूरा मामला

Madhya Pradesh Crime News : आठ साल पहले गुना जिले (Guna District) में पुलिस (Police) द्वारा की गई आदिवासी की हत्या (Tribal Murder Case) के मामले में सरकार ने बड़ी कार्यवाही करते हुए, उस समय गुना में आरटीओ (RTO) के पद पर पदस्थ रही और वर्तमान में परिवहन उप आयुक्त (Transport Deputy Commissioner) के पद पर कार्यरत अधिकारी के खिलाफ हत्या के समय लाश को ठिकाने लगाने में प्रयोग की गई कार के फर्जी तौर पर किये गए रजिट्रेशन (Fake Registration) के मामले में विभिन्न धाराओं में आपराधिक केस (Criminal Case) दर्ज किया है. वहीं इस मामले में फरार चल रहे हत्या के आरोपी और बर्खास्त थानेदार की गिरफ्तारी पर इनाम की राशि बढाकर 30 हजार कर दी गई है.

ये है पूरा मामला

प्रदेश का यह बहुचर्चित मामला गुना जिले का है. यहां की धरनावदा पुलिस चौकी (Police Chouki) का प्रभारी सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) पास के गांव से आत्माराम पारदी को पूछताछ के लिए पकड़कर लाया था. आरोप है कि पुलिस प्रताड़ना के चलते उसकी मौत हो गई. इसके बाद आरोपियों द्वारा उसकी लाश को ठिकाने लगाने के लिए कार से एक नदी में ले जाया गया.

पुलिस पहले आत्माराम को हिरासत में लेने से ही इनकार करती रही. बाद में परिजनों ने इस मामले में एमपी हाईकोर्ट (MP High Court Gwalior Bench) की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दर्ज की, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले की जांच सीआईडी (CID) को सुपुर्द कर दी थी.

सीआईडी ने प्रथम दृष्टया जांच के बाद इसे हत्या का मामला माना और पाया कि रामवीर ने कुछ अन्य पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर कार से शव ले जाकर उसे ठिकाने लगाया है. इसको लेकर रामवीर सहित बाकी पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या, साक्ष्य मिटाने और लाश को ठिकाने लगाने जैसी संगीन धाराओं में आपराधिक केस दर्ज किया गया. वहीं ग्वालियर आईजी ने थानेदार को नौकरी से बर्खास्त कर दिया.

आठ साल से फरार चल रहा है थानेदार

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बहुचर्चित हत्याकांड (Murder Case) में मुख्य आरोपी और बर्खास्त थानेदार को पुलिस अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है. उसकी गिरफ्तारी के लिए पहले एसपी गुना ने दस हजार तो फिर एडीजी ग्वालियर ने 20 हजार का इनाम घोषित किया था. वहीं मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने उसकी गिरफ्तारी के लिए 30 हजार का इनाम घोषित किया है.

तत्कालीन आरटीओ पर भी केस दर्ज 

2015 में हुए गुना के इस बहुचर्चित हत्या से जुड़े मामले में सरकार ने बीती रात एक और बड़ी कार्यवाही की है. जांच के दौरान पता चला कि आरोपी थानेदार ने जिस कार का उपयोग आत्माराम पारदी की लाश को ठिकाने लगाने में किया था, उसे आरटीओ विभाग के लोगों ने गलत तरीके से ट्रांसफर किया था. गुना बस हादसे के बाद जब वाहनों के रजिस्ट्रेशन को लेकर जांच पडताल शुरू हुई तो वहां फाइलों में दबाकर रखा गया यह मामला भी सामने आ गया. अब इसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर गुना की तत्कालीन RTO मधु सिंह और आरटीओ के बाबू पर 420, 467, 471, 197, 198, 463,465 के तहत केस दर्ज किया गया. यह कार्यवाही हत्या के मामले में फरार थानेदार की गाड़ी को फर्जी तौर पर ट्रांसफर करने के लिए की गयी है.

मधु सिंह वर्तमान में परिवहन उपायुक्त हैं. गुना के बाद, शिवपुरी, मुरैना में भी वे विवादित रही हैं. इन पर रिश्वतखोरी, अवैध रजिस्ट्रेशन सहित गंभीर आरोप लगते रहे हैं, जिसकी शिकायतें  CM तक भी पहुंची थीं.

परिवहन विभाग में मचा हड़कंप

इस कार्यवाही की खबर मिलते ही परिवहन विभाग (Transport Department) में हड़कंप मच गया है, क्योंकि वहां अगर यह जांच पड़ताल आगे बढ़ी तो उसके हजारों ऐसे मामले प्रकाश में आ जाएंगे. परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार के मामले प्रकाश में तो खूब आते हैं, लेकिन इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो पाती थी. अब बड़े अफसर पर कार्यवाही से उनमें हड़कंप मच गया है. 

परिवहन विभाग पर दूसरी बडी कार्यवाही

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Chief Minister Dr Mohan Yadav) के पदभार ग्रहण करने के बाद परिवहन विभाग पर यह दूसरी बड़ी कार्यवाही है. इससे पहले गुना में हुए बस हादसे के बाद सीएम ने गुना आरटीओ को सस्पेंड करने के बाद प्रदेश के परिवहन आयुक्त को भी हटा दिया था.

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