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MP का इस सरकारी विश्वविद्यालय से निकल रहे “नकली डॉक्टर”, इलाज के नाम पर मौतों का अड्डा!

Illegal Electro-Homeopathy Medical Course: भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने लिखित जवाब में विधानसभा में खुद स्वीकार किया है कि उसके स्टडी सेंटर 2022–23 से इलेक्ट्रो-होम्योपैथी का कोर्स चला रहा है, जबकि यह पद्धति मध्य प्रदेश सरकार, आयुष मंत्रालय, होम्योपैथिक काउंसिल और भारत सरकार किसी से भी मान्यता प्राप्त नहीं है.

MP का इस सरकारी विश्वविद्यालय से निकल रहे “नकली डॉक्टर”, इलाज के नाम पर मौतों का अड्डा!

Electro-Homeopathy Medical Course: मध्य प्रदेश के एक सरकारी विश्वविद्यालय में चुपचाप अवैध मेडिकल कोर्स चलाए जा रहे हैं. जहां से निकले सैकड़ों “नकली डॉक्टर” देशभर में भोली-भाली जनता का इलाज कर रहे हैं और ये लोग कई मामलों में लोगों की जान ले रहे हैं.

भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने लिखित जवाब में विधानसभा में खुद स्वीकार किया है कि उसके स्टडी सेंटर 2022–23 से इलेक्ट्रो-होम्योपैथी का कोर्स चला रहा है, जबकि यह पद्धति मध्य प्रदेश सरकार, आयुष मंत्रालय, होम्योपैथिक काउंसिल और भारत सरकार किसी से भी मान्यता प्राप्त नहीं है.

सरकार ने कभी नहीं दी कोर्स को मंजूरी

इसके बावजूद इस कोर्स से 294 छात्र पास आउट हो चुके हैं. हर एक ने ₹30,000 देकर यह डिग्री खरीदी. एक ऐसी डिग्री, जिसकी कोई कानूनी वैधता नहीं, जिसे लेकर कोई भी व्यक्ति अपने नाम के आगे “डॉक्टर” तक नहीं लगा सकता. विधानसभा में जब सवाल पूछा गया, तो उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने खुद कहा कि इस कोर्स को कभी कोई मंजूरी दी ही नहीं गई और सरकार के पास यह भी कोई रिकॉर्ड नहीं है कि ये “ग्रेजुएट” कहां प्रैक्टिस कर रहे हैं और कितनों की जान ले चुके हैं. अब सबसे डरावना सवाल यह है, सरकार की नाक के नीचे ऐसे कितने नकली डॉक्टर लोगों का इलाज कर रहे हैं?

तीन मरीजों की मौत से गरमाया मुद्दा

हाल ही में खंडवा के पंधाना जिले में 14 साल के मासूम की मौत हुई थी. आरोप है कि एक व्यक्ति जिसने सिर्फ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी सीख रखी थी, उसने गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई. इंदौर में 41 साल के मरीज की मौत हुई, तेज बुखार से जूझ रहे मरीज को प्रदीप पटेल “डॉक्टर” बनकर इलाज कर रहा था, जबकि उसके पास सिर्फ इलेक्ट्रो-होम्योपैथी का सर्टिफिकेट था. मरीज नहीं बचा. उज्जैन में एक महिला जिसने खुद को गायनाकोलॉजिस्ट बताया, उसने झूठ बोला कि बच्चे के हाथ-पैर नहीं हैं, फिर इंजेक्शन और ब्लड चढ़ाकर हालत बिगाड़ दी. दूसरे अस्पताल में नॉर्मल डिलीवरी हुई, लेकिन बच्चा मर चुका था. इसके बाद से फर्जी डॉक्टर फरार है और उसके खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है.

भारत में पूरी तरह अवैध है इलेक्ट्रो-होम्योपैथी

इलेक्ट्रो-होम्योपैथी, जो 19वीं सदी में इटली में बनी थी, भारत में पूरी तरह अवैध है. इसके प्रैक्टिशनर न मरीज देख सकते हैं, न दवा दे सकते हैं, न इंजेक्शन लगा सकते हैं. लेकिन बिना NEET, बिना मेडिकल ट्रेनिंग, बिना मान्यता एक सरकारी विश्वविद्यालय ही इस अवैध नेटवर्क को "डिग्री" बांटकर मजबूत कर रहा है.

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सबसे बड़ा सवाल, अगर 294 नकली “डॉक्टर” पहले ही बाजार में घूम रहे हैं, तो मध्यप्रदेश में कितने लोग अनजाने में अपनी ज़िंदगी इन फर्जी इलाज करने वालों के हाथों सौंप रहे हैं?

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