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Metropolitan Region: मेट्रोपॉलिटन रीजन बनेंगे इंदौर और भोपाल, मानसून सत्र में पेश किया जाएगा बिल, जानें इसके फायदे

Metropolitan Region: मध्य प्रदेश में प्रस्तावित मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों के विकास को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उच्चस्तरीय बैठक की. यह बैठक समत्व भवन में आयोजित की गई, यहां अधिकारियों के साथ इसे लेकर चर्चा की.

Metropolitan Region: मेट्रोपॉलिटन रीजन बनेंगे इंदौर और भोपाल, मानसून सत्र में पेश किया जाएगा बिल, जानें इसके फायदे

Metropolitan Development in MP: मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल को मेट्रोपॉलिटन रीजन (Metropolitan Region) बनाने की कवायद अब तेज हो गई है. शनिवार को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ मेट्रोपॉलिटन रीजन की समीक्षा बैठक की, जिसमें कई निर्देश दिए गए.

इंदौर-उज्जैन-देवास-धार और भोपाल-सीहोर-रायसेन-विदिशा-ब्यावरा को मिलाकर मध्य प्रदेश में दो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे.

समीक्षा बैठक में अफसरों ने दोनों मेट्रोपॉलिटन रीजन का प्लान सीएम को बताया. अफसरों ने बताया कि इसके लिए मध्य प्रदेश मेट्रोपॉलिटन नियोजन व विकास अधिनियम 2025 (एक्ट) बनाया जाएगा. 

मानसून सत्र में पेश किया जाएगा मेट्रोपॉलिटन रीजन बिल

जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मेट्रोपॉलिटन रीजन की समीक्षा बैठक में कई निर्देश दिए. बता दें कि मोहन सरकार अगली कैबिनेट में मेट्रोपॉलिटन रीजन एक्ट लेकर आएगी. वहीं मानसून सत्र में मेट्रोपॉलिटन रीजन बिल पेश किया जाएगा. बैठक में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित महाराष्ट्र, हरियाणा, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तामिलनाडु में मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकास और प्रबंधन पर चर्चा की गई.

यहां जानें आईएमआर (IMR) क्या है?

इंदौर मेट्रोपॉलिटन रीजन (IMR) एक महत्वाकांक्षी शहरी और औद्योगिक विकास योजना है, जिसके तहत इंदौर, उज्जैन, देवास और धार को एक संगठित ढांचे में जोड़ा जा रहा है. इसका उद्देश्य क्षेत्र में संतुलित विकास को बढ़ावा देना, औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना और कनेक्टिविटी को मजबूत करना है.

IMR में ये जिले और तहसीलें होंगी समावेशित

इंदौर- महू, राऊ, सांवेर, हातोद, कनाडिया, खुड़ैल आदि.

उज्जैन- उज्जैन नगर, महिदपुर, तराना

देवास- देवास नगर, बागली, देवास तहसील, हाटपिपल्या.

धार- पीथमपुर, बदनावर, धरमपुरी.

मेट्रोपॉलिटन एरिया बनने से फायदे

बुनियादी ढांचे और स्मार्ट सिटी विकास: नए उद्योगों और निवेशकों को आकर्षित करने का अवसर मिलेगा. नई टाउनशिप, लॉजिस्टिक पार्क, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. स्वच्छता, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज जैसी सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा.

पर्यावरण और जल संरक्षण: पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए हरे क्षेत्रों और जल स्रोतों को संरक्षित किया जाएगा. झीलों, तालाबों और छोटे नदियों को भी संरक्षित किया जाएगा.

रोजगार के अवसरों में वृद्धि: नए उद्योगों और व्यापारिक विस्तार से स्थानीय युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे. इसके अलावा टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा.

कृषि और ग्रामीण विकास: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और बाजारों तक सीधी पहुंच मिलेगी. कृषि उत्पादों को बड़े बाजारों में बेचने के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलेगा.

रियल एस्टेट और हाउसिंग सेक्टर को बढ़ावा: नई आवासीय योजनाएं और कमर्शियल प्रोजेक्ट्स विकसित किए जाएंगे. 

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