
Manora Dham: जहां श्रद्धा होती है, वहां भीड़ नहीं होती… वहां भक्ति का प्रवाह होता है. विदिशा से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित मनोरा धाम में आज खास नज़ारा देखने को मिला. यहां लाखों भक्तों ने एक स्वर में पुकारा- “जय जगदीश स्वामी”. हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा, लेकिन इस बार यह सैलाब सिर्फ संख्या का नहीं, आस्था, भक्ति और सेवा का भी मिसाल था.
ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ वार्षिक पदयात्रा शुरू
सुबह की पहली किरण के साथ विदिशा के बड़ी बजरिया जय स्तंभ चौक से वार्षिक पदयात्रा शुरू हुई, जो भक्तों के हृदय से निकलकर मनोरा धाम की ओर बढ़ चली. डीजे, ढोल-नगाड़ों की गूंज, हाथों में केसरिया ध्वज, माथे पर तिलक और होंठों पर भजन... जैसे खुद ईश्वर इस यात्रा में शामिल हो गए हों.

यात्रा आयोजक दीपक तिवारी ने बताया, 'यह सिर्फ एक यात्रा नहीं है, यह हमारी आस्था की परंपरा है. हर साल श्रद्धालु बढ़ रहे हैं और सेवा का भाव भी उतना ही बढ़ रहा है. इस बार सैकड़ों श्रद्धालु मनोरा तक पैदल जा रहे हैं. भगवान जगदीश स्वामी की कृपा से सब सफल हो रहा है.'
पदयात्रा में सेवा का अद्भुत उदाहरण पेश
पदयात्रा मार्ग पर जगह-जगह लगे सेवा शिविरों में लोगों ने निस्वार्थ सेवा का अद्भुत उदाहरण पेश किया. कहीं शीतल जल, कहीं फल और भोजन, तो कहीं पैर धोने और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा…बिना कोई नाम पूछे, सेवा में जुटे लोग सिर्फ एक बात कहते नजर आए - 'भक्तों की सेवा ही सच्ची भक्ति है.'
इस यात्रा में शामिल श्रद्धालु ने बताया, 'हम हर साल आते हैं, यहां आकर मन को बहुत शांति मिलती है. लगता है जैसे भगवान जगदीश स्वामी खुद सामने खड़े हैं. यहां की ऊर्जा अलौकिक है.'

भक्ति में लीन होकर मनोरा धाम पहुंच रहे भक्त
मनोरा धाम तक पहुंचने का सफर सिर्फ विदिशा तक सीमित नहीं है. दूरदराज गांव से भी ग्रामीण झंडा लेकर नंगे पांव पदयात्रा करते हुए इस आस्था की राह पर निकल पड़ते हैं. इन्हें ना बारिश रोकती है और ना गर्मी का असर… भक्ति के जयकारों के साथ महिला, पुरुष और बच्चे सभी भक्ति में लीन होकर मनोरा धाम पहुंचते हैं.
श्रद्धालु कहते हैं, 'हम कई सालों से ऐसे ही नंगे पांव चलते आ रहे हैं. यहां पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन मन में जो शक्ति है वही हमें खींच लाती है. कोई 24 घंटे लगातार चलता है, तो कोई 3 दिन की यात्रा में निकलकर भगवान जगदीश स्वामी के चरणों में पहुंचता हैं. यही आस्था की ताकत है, यही भारत की आत्मा है.
रंग-बिरंगी रोशनी से जगमग हुआ मनोरा धाम मंदिर
मनोरा धाम मंदिर को इस अवसर पर फूलों, दीपों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया. श्रद्धालुओं के पहुंचते ही घंटियों की गूंज और जय स्वामी जगदीश की घोषणाओं से पूरा परिसर भक्तिमय हो गया. इस आयोजन का मुख्य आकर्षण रही- भगवान जगदीश स्वामी की भव्य रथ यात्रा, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए. रथ में विराजमान भगवान के दर्शन कर भक्तों ने झूमते-नाचते पुण्य लाभ प्राप्त किया.
स्थानीय श्रद्धालु ने बताया कि ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग यहीं उतर आया हो. यह कोई साधारण दिन नहीं, यह जीवन का उत्सव है.
मंदिर परिसर में देर रात से भजन संध्या, सांस्कृतिक भक्ति प्रस्तुतियां, आरती और प्रसादी वितरण का आयोजन होता रहा.
हर चेहरे पर सुकून था… हर आंख श्रद्धा से भरी हुई और हर मन में बस यही भाव है- "धन्य हो जगदीश स्वामी, जो इस दर्शन का सौभाग्य मिला."
मनोरा धाम की यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं… यह लोक आस्था, सेवा, त्याग और भक्ति का एक विराट संगम है, जहां लाखों लोग मिलते हैं. वर्ग जाति भेद से ऊपर उठकर, सिर्फ एक ही लक्ष्य लिए- 'भगवान के दर्शन और जीवन की सार्थकता.'
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