Satna : मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में शिक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने के तमाम प्रयासों के बाद भी सुधार नहीं हो सका है. सतना (Satna) जिले में कई ऐसे स्कूल हैं, जिनका संचालन भगवान भरोसे हो रहा है. ऐसा ही एक स्कूल राज्यमंत्री प्रतिमा के गृह विधानसभा क्षेत्र रैगांव के करसरा गांव में है. कड़ाके की ठंड के बीच शनिवार को यहां पढ़ने वाले छात्र और छात्राएं सुबह नौ बजे स्कूल पहुंच गए, जबकि पढ़ाने के नाम पर मोटी रकम पाने वाली शिक्षिका विद्यालय ही नहीं पहुंचीं. बताया जाता है कि ठंड और बरसात के मौसम में अक्सर ऐसा होता है कि बच्चे शिक्षकों का इंतजार करते रह जाते हैं.
पेड़ के नीचे लगता है स्कूल
यहां का स्कूल पेड़ के नीचे मंदिर के चबूतरे पर संचालित होता है. यहां स्कूल के नाम पर एक बिल्डिंग तक उपलब्ध नहीं है. ठंड, बारिश के वक़्त बच्चों को सबसे ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन इसके समाधान के लिए कोई भी रुचि नहीं दिखा रहा है. विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे हर परिस्थिति से जूझते हुए भी स्कूल पहुंच जाते हैं, लेकिन यहां पदस्थ शिक्षक कभी कभार ही पहुंचती हैं. ऐसे में ग्रामीणों में भी अक्सर नाराजगी देखी जाती है.
स्कूल में हैं सिर्फ 8 बच्चे
बताया जाता है कि करसरा संकुल केन्द्र के हनुमान नगर करसरा की बसाहट में बच्चों की पढ़ाई के लिए कई साल पहले प्राथमिक स्कूल खोला गया था. इस स्कूल में बच्चों की संख्या सिर्फ 8 है. इन बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा एक महिला शिक्षिका पर है. कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक के छात्रों को पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कराई जाती है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शिक्षिका स्कूल ही नहीं जाती हैं. कमाल इस बात का भी है कि इतने के बाद भी यहां का कभी किसी वरिष्ठ अधिकारी ने निरीक्षण नहीं किया. इसके अलावा संकुल प्राचार्य भी इस बात से अनभिज्ञ रहते हैं.
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अधिकारी भी अनजान
इस मामले में बड़ी बात ये है कि इस स्कूल के संचालन को लेकर सोहावल विकासखंड के समन्वयक दिवाकर तिवारी को कोई जानकारी ही नहीं है. ऐसे में उन्हें इस स्कूल की शैक्षणिक व्यवस्था की गतिविधि के बारे में जानकारी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है.
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