
Next CM of Madhya Pradesh: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भाजपा सोमवार को मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री की भी घोषणा कर सकती है. मुख्यमंत्री के चयन के लिए भाजपा विधायक दलों की बैठक सोमवार शाम 4 बजे होगी. इस बैठक में ही मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नवनिर्वाचित विधायक अपने नेता का चयन करेंगे.
आज पहुंचेंगे केंद्रीय पर्यवेक्षक
पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों के सुबह 11 बजे राजधानी भोपाल पहुंचने की संभावना है. केंद्रीय पर्यवेक्षकों में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के प्रमुख के. लक्ष्मण और सचिव आशा लकड़ा शामिल हैं. एक विधायक ने बताया कि हमें दोपहर एक बजे दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया गया है. बैठक शाम चार बजे शुरू होगी और शाम सात बजे तक मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो सकती है.
इन नामों की है चर्चा
दरअसल, भाजपा ने चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर किसी को पेश नहीं किया था और एक तरह से पूरा प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर टिका था. माना चा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान इस बार मौका नहीं दिया जाएगा. उनके स्थान पर किसी नए चेहरे का सामने लाया जा सकता है. मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर जिन नामों की चर्चा हो रही है, उन में चौहान की तरह ओबीसी समुदाय के प्रहलाद पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिमनी के नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र तोमर, इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय, राज्य इकाई के प्रमुख वीडी शर्मा और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम शामिल है.
केंद्रीय नेतृत्व से मिल चुके हैं ये नेता
पटेल, तोमर, विजयवर्गीय, शर्मा और सिंधिया पहले ही नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की थी.
2004 के बाद से यह तीसरी बार पहुंचेंगे पर्यवेक्षक
वर्ष 2004 के बाद से यह तीसरी बार है, जब भाजपा ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजे हैं. अगस्त 2004 में जब उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, तो पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद महाजन और अरुण जेटली को राज्य में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में भेजा गया था. इसके बाद नवंबर 2005 में जब बाबूलाल गौर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, तब विधायकों को नया मुख्यमंत्री चुनने में मदद करने के लिए राजनाथ सिंह को केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में भेजा गया था. उस वक्त शिवराज सिंह चौहान को विधायक दल का नेता चुना गया था. इस बार, भाजपा ने चौहान को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किए बिना विधानसभा चुनाव लड़ा. चौहान चार बार के मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2005, 2008, 2013 और 2020 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
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मध्य प्रदेश में है ओबीसी का दबदबा
वर्ष 2003 के बाद से मध्य प्रदेश में भाजपा के सभी तीन मुख्यमंत्री यानी उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान अन्य पिछड़ा वर्ग से रहे हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 48 फीसदी है. भाजपा ने 17 नवंबर को हुए चुनाव में 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीट जीतकर मध्य प्रदेश में सत्ता बरकरार रखी थी, जबकि कांग्रेस 66 सीट के साथ दूसरे स्थान पर रही.
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