Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि मृतक सरकारी कर्मचारी की वैध पत्नी को पारिवारिक पेंशन दिए जाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालत ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 90 दिन के भीतर याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू कर दी जाए अन्यथा सरकार को पेंशन पर 4 फीसदी ब्याज भी देना पड़ेगा.
विभाग ने पेंशन देने से कर दिया था इनकार
बता दें कि मृत पति की पेंशन पाने के लिए 72 वर्षीय विधवा ने यह याचिका लगाई थी. दरअसल डिंडोरी के शाहपुरा में वन विभाग में पदस्थ बुटना प्रसाद की मृत्यु 22 दिसंबर 2012 को हो गई थी. जिसके बाद उसकी पहली पत्नी गंगा बाई ने पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया था. जिसे विभाग ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि रिकॉर्ड में बुटना प्रसाद की पत्नी के रूप में नरबदिया बाई का नाम दर्ज है, इसलिए गंगा बाई पेंशन की हकदार नहीं हैं.
शासन की तरफ से पेंशन देने का किया गया था विरोध
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पारितोष त्रिवेदी ने दलील दी थी कि मृतक बुटना प्रसाद की दूसरी पत्नी नरबदिया बाई की मौत बुटना प्रसाद की मृत्यु के 7 साल पहले ही हो चुकी थी. इस मामले में सिविल कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता के पक्ष में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करते हुए उसे वैध पत्नी माना था, लेकिन शासन की ओर से यह तर्क दिया गया था कि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करते समय सिविल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पारिवारिक पेंशन दिए जाने का उल्लेख कहीं नहीं किया है.
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90 दिनों के अंदर पेंशन शुरू करने का दिया आदेश
तमाम दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की एकलपीठ ने शासन की आपत्ति को निरस्त करते हुए अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता मृतक कर्मचारी की वैधानिक पत्नी है. उसे फैमिली पेंशन के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. अदालत ने सरकार को 90 दिन के अंदर याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू करने के निर्देश दिए हैं.
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