Madhya Pradesh News: 7 साल पुराने चेक बाउंस मामले में पूर्व विधायक को जेल भेजा गया है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले (Rewa) के सिरमौर विधानसभा (Sirmour Vidhansabha) के पूर्व विधायक राजकुमार उरमालिया (Rajkumar Urmalia) को पहले तो पुलिस ने गिरफ्तार किया. और उसके बाद उन्हें न्यायालय में पेश किया गया. जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है.
बीएसपी के टिकट पर हासिल की थी जीत
ये वही राजकुमार उरमालिया (Rajkumar Urmalia)हैं, जिन्होंने बीएसपी के टिकट पर लड़ते हुए उस समय के विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी को हराकर जीत हासिल की थी. अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर भोपाल में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी.
चेक बाउंस मामले में स्थाई वारंट डभौरा थाने में था
रीवा जिले के सिरमौर विधानसभा से किसी जमाने में बीएसपी से विधायक रहे राजकुमार उरमलिया को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मिली जानकारी के अनुसार 7 साल पुराने चेक बाउंस मामले में स्थाई वारंट डभौरा थाने में था. वर्तमान पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते सभी थानों को वारंट तामिल करने का आदेश जारी किया था जिसके चलते डभौरा पुलिस ने पूर्व विधायक को गिरफ्तार कर लिया है.
पुलिस करा चुकी है 300 वारंट तामील
फिलहाल पुलिस लोकसभा चुनाव को ध्यान मे रखते हुए अभी तक 300 के आसपास वारंट तामील करा चुकी है. जिसमें से कुछ को जेल की हवा भी खानी पड़ रही है. उसी में से एक है पूर्व विधायक राजकुमार उरमलिया जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हे न्यायालय ने जेल भेज दिया. यह वही राजकुमार उरमलिया है, जिन्होंने अभी हाल ही में भोपाल में एक कार्यक्रम में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था.
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विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस के सदस्य थे
राजकुमार बीएसपी के बाद कई दलों में शामिल हुए थे. विधानसभा चुनाव तक वो कांग्रेस में थे. गिरफ्तारी के समय भारतीय जनता पार्टी में राजकुमार उरमलिया ने कभी जेसीबी मशीन खरीदी थी, जिसका भुगतान बाकी था. जिसके लिए उन्होंने कंपनी को चेक दिया था, लेकिन उनके खाते में पैसे नहीं थे. जिसकी वजह से उनका दिया हुआ चेक बाउंस हो गया. इस मामले में कंपनी ने न्यायालय में परिवाद दायर किया गया था. राजकुमार उरमालिया जमानत पर थे, लेकिन कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे. जिसके चलते न्यायालय ने स्थाई वारंट जारी कर दिया था, जिन्हें पुलिस ने आचार संहिता लगने के बाद हिरासत में ले लिया और जेल वारंट बनाकर जेल भेज दिया.
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