MP News: आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट की टिप्पणी, 'मक्खी को मारने के लिए हथौड़े का हुआ इस्तेमाल'

MP News: ममता तिरोली ने पहले कलेक्टर और फिर संभाग आयुक्त के पास अपनी सेवा बहाली का आवेदन दिया था. लेकिन उसे नहीं माना गया. जब कहीं भी न्याय नहीं मिला तो वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की शरण में आ गईं.

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फाइल फोटो

Madhya Pradesh News: एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की बर्खास्तगी को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने कहा कि मक्खी को मारने के लिए हथौड़ा का इस्तेमाल किया गया है. जी हां माननीय कोर्ट को ऐसा इसलिए कहना पड़ा क्योंकि, एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को एक दिन की अनुपस्थिति के कारण सेवा से ही बर्खास्त कर दिया गया था. आपको बता दें, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को जिले के कलेक्टर ने बर्खास्त किया था. जिसे हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है.

कोर्ट ने सेवाबर्खास्तगी को माना असंवैधानिक

कोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश पर कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह तो ऐसा लगता है जैसे मक्खी को मारने के लिए हथौड़े का इस्तेमाल किया गया है. जस्टिस सुजय पाल ने दो महीनें में याचिकाकर्ता को नौकरी पर वापस बहाल करने और सभी लाभों को देने की बात भी अपने फैसले में कही है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब एक दिन की अनुपस्थिति के लिए 8 दिन के वेतन की कटौती का आदेश दे दिया गया था, तो बाद में कलेक्टर ने उसे सेवा से बर्खास्त करके असंवैधानिक काम किया है.

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एक दिन की अनुपस्थिति के कारण किया बर्खास्त

ममता तिरोली ने पहले कलेक्टर और फिर संभाग आयुक्त के पास अपनी सेवा बहाली का आवेदन दिया था. लेकिन उसे नहीं माना गया. जब कहीं भी न्याय नहीं मिला तो महिला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की शरण में आई. हाई कोर्ट में जस्टिस सुजय पॉल ने इन तर्कों को माना कि जब एक आचरण के लिए एक बार सजा दी जा चुकी है, तो उसे एक छोटी सी गलती के लिए बर्खास्त करने जैसी कड़ी सजा नहीं दे जा सकती.

उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कई महिला अधिवक्ताओं भी खुश दिखाई पड़ी. उन्होंने कहा कि ये फैसला ऐतिहासिक है. किसी भी महिला को प्रशासनिक तौर पर प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए.

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