17 वर्षीय लड़की का हुआ था रेप, भोपाल कोर्ट ने कहा No Abortion, जबलपुर HC ने 28 सप्ताह के गर्भपात की दी अनुमति

Jabalpur High Court Order: अदालत ने डॉक्टरों की एक विशेष टीम की निगरानी में उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने का आदेश दिया और कहा कि राज्य सरकार (Madhya Pradesh Government) को लड़की की उचित देखभाल करनी चाहिए और लड़की के माता-पिता को उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सहमति देनी चाहिए.

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Jabalpur High Court Order: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) की एक 17 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार (Rape) हुआ था और वह गर्भवती (Pregnant) हो गई थी. उस लड़की की तरफ से कोर्ट (Court) में गुहार लगाते हुए गर्भपात (Abortion) की इजाजत लेने का निवेदन किया गया. कोर्ट से कहा गया कि लड़की नाबालिग (Minor Girl) है, इस अवस्था में बच्चे को जन्म देने के बाद उसे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता. इसलिए पीड़िता को गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.

Bhopal Court : हम ये अनुमति नहीं दे सकते

भोपल उच्च न्यायालय (Bhopal High Court Single Bench) की एकल-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले में गर्भपात की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.

भोपाल की 17 वर्षीय जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ था और उसने पुलिस (Police) में एफआईआर (FIR) भी दर्ज कराई थी. दुष्कर्म के बाद वह गर्भवती हो गई. उसने गर्भ को समाप्त करने के लिए डॉक्टरों (Docters) से सलाह ली लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह 24 सप्ताह की गर्भवती है और इस समय गर्भ को समाप्त करना गैरकानूनी (Illegal abortion) है.

भोपाल के बाद जबलपुर कोर्ट का रुख

उसके बाद न्याय (Justice) की मांग करते हुए वह जबलपुर उच्च न्यायालय (Jabalpur High Court) आयी. हाइकोर्ट (MP High Court Order) के आदेश पर एक मेडिकल बोर्ड (Medical Board) ने अदालत को बताया कि उस लड़की को 28 सप्ताह और 3 दिन का गर्भ है.

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर एकल पीठ ने गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. कहा गया था कि कानून के अनुसार 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उसके बाद डबल बेंच ने रेप पीड़िता की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की डबल बेंच (Double Bench) ने याचिकाकर्ता का मेडिकल परीक्षण (Medical Test) कराने का आदेश दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्भावस्था के जोखिमों के साथ गर्भ समाप्त किया जा सकता है, लेकिन लड़की को बच्चे को जन्म देने में भी जोखिम है. 

अदालत ने डॉक्टरों की एक विशेष टीम की निगरानी में उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने का आदेश दिया और कहा कि राज्य सरकार (Madhya Pradesh Government) को लड़की की उचित देखभाल करनी चाहिए और लड़की के माता-पिता को उसकी गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए सहमति देनी चाहिए. याचिकाकर्ता की ओर से मामले में अधिवक्ता प्रियंका तिवारी उपस्थित हुई थीं.

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