MP High Court: शादी के बाद शारीरिक संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता, पत्नी की अपील हुई रिजेक्ट

Jabalpur High Court Order: कुटुम्ब न्यायालय सतना (Satna Court) द्वारा जारी किए गए तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए सीधी की रहने वाली एक महिला की ओर से हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) में अपील दायर की गई थी. हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित आदेश को उचित ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी.

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Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने कहा कि शारीरिक संबंध स्थापित न करना पति के साथ क्रूरता है. हाई कोर्ट (HC) के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अमरनाथ केशरवानी की युगलपीठ ने इस टिप्पणी के साथ कुटुम्ब न्यायालय (Family Court) द्वारा दिए गए तलाक (Divorce Order) के आदेश को सही ठहराते हुए  पत्नी की ओर से दायर अपील को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पति-पत्नी दोनों पिछले कई वर्ष से अलग-अलग रह रहे हैं. यदि दंपति के बीच अलगाव काफी समय तक अनवरत रहता है तो उस स्थिति में दोनों में से कोई एक तलाक (Divorce) की याचिका दायर करता है, तो तय हो जाता है कि वह विवाह टूट गया है.

क्या है मामला?

कुटुम्ब न्यायालय सतना (Satna Court) द्वारा जारी किए गए तलाक के आदेश को चुनौती देते हुए सीधी की रहने वाली एक महिला की ओर से हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) में अपील दायर की गई थी. अपील की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि दोनों पक्षकारों का विवाह 26 मई, 2013 को हिंदू रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ था. विवाह के तीन दिन बाद ही आवेदिका के भाई परीक्षा दिलाने के लिए उसे सुसराल से लेकर चले गए थे. ससुराल पक्ष वाले उसे लेने गए तो उसने आने से इंकार कर दिया था. इसके बाद आवेदिका ने ससुराल पक्ष के विरुद्ध सीधी के थाने में दहेज प्रताड़ना की शिकायत दर्ज करा दी थी.

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पुलिस थाने में भी महिला ने ससुराल जाने से इंकार कर दिया था. इसके बाद दोनों ने लिखित तौर पर स्वेच्छा से तलाक ले लिया था. तलाक के समझौते में दोनों के हस्ताक्षर हैं. इसके बाद आवेदक महिला ने पति के विरुद्ध घरेलू हिंसा का प्रकरण दर्ज करा दिया. जिसके बाद अनावेदक पति ने हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत कुटुम्ब न्यायालय सतना में तलाक के लिए आवेदन किया था.

कुटुम्ब न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 17 अगस्त, 2021 को आवेदन को स्वीकार करते हुए तलाक का आदेश जारी किया गया था. अनावेदक पति की ओर से तर्क दिया गया कि शादी के बाद आवेदिका ससुराल में सिर्फ तीन दिन ही रूकी थी. इस दौरान उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए थे.

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महिला का क्या कहना था?

आवेदक महिला का कहना था कि वह उसे पसंद नहीं करती है, स्वजनों के दबाव में उसने शादी की थी. तीन दिन ससुराल में रहने के बाद वह अपने भाईयों के साथ चली गई और फिर कभी वापस नहीं लौटी. ससुराल पक्ष की ओर से उसे वापस लाने का प्रयास किया गया था. इसके अलावा महिला ने उसके विरुद्ध दहेज एक्ट व घरेलू हिंसा के झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई है. वहीं अब हाईकोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पारित आदेश को उचित ठहराते हुए अपील निरस्त कर दी.

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