Mohan Yadav Cabinet Expention: नव गठित डॉ. मोहन यादव सरकार ( Mohan Yadav Government) का बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार सोमवार (25 दिसम्बर) को हो गया. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भोपाल से लेकर दिल्ली (Delhi) तक जमकर मंथन किया, लेकिन इसमें 2018 की तुलना में तीन गुना सीट जीतकर भाजपा को सौंपने वाले ग्वालियर अंचल को मायूसी हाथ लगी है. पिछली सरकार की तुलना में यहां की सीट घटकर आधी रह गई है. इतना ही नहीं, इस मंत्रिमंडल में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की ताकत भी कम हो गई है. उनके मंत्रियों की संख्या घटकर आधी रह गई है.
अंचल में अब तक थे 8 मंत्री, अब हैं मात्र चार
2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस में बड़ी बगावत हुई और कांग्रेस की कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई और सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने के बाद बने मंत्रिमंडल में उनका दबदवा साफ नजर आया था. इस मंत्रिमंडल में हर जिले से उनके समर्थक मंत्री बनाए गए थे. भाजपा से डॉ. नरोत्तम मिश्रा, अरविंद भदौरिया और भारत सिंह जैसे सिर्फ तीन ही नाम थे.
सिर्फ एक सिंधिया समर्थक को बनाया गया मंत्री
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में मुरैना के एदल सिंह कंसाना भी शामिल हुए थे, लेकिन उनकी गिनती सिंन्धिया समर्थकों में नहीं होती है, जबकि सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी सुमन, महेंद्र सिंह सिसोदिया, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया, सुरेश राठखेड़ा, बृजेन्द्र सिंह यादव मंत्री थे. हालांकि, उपचुनाव में इनमें से इमरती, कसाना और गिरिराज हार गए थे. फिर भी शिवराज सरकार में अंचल से आठ मंत्री थे, लेकिन मोहन मंत्रिमंडल में यह संख्या घटकर आधी रह गई है. इनमें सिर्फ प्रद्युम्न सिंह तोमर ही सिंधिया के समर्थक हैं. नारायण सिंह कुशवाह और राकेश शुक्ला पुराने भाजपाई है. इनमें भी कुशवाह पूर्व सीएम शिवराज सिंह और संघ से जुड़े हैं, जबकि राकेश शुक्ला विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कोटे से हैं. मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेने वाले एक अन्य नेता मुरैना जिले की सुमावली से जीते एदल सिंह कंसाना को नरेंद्र तोमर और डॉ. नरोत्तम मिश्रा का समर्थक माना जाता है.
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प्रदेश में भी सिंधिया समर्थकों की ताकत घटी
शिवराज मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्रियों की संख्या के मुकाबले उनकी सियासी ताकत मोहन सरकार में काफी घटी है . सिंधिया के खुद के संसदीय क्षेत्र के जिले गुना, शिवपुरी और अशोकनगर से एक भी मंत्री नहीं बन सका . यहां तक कि उनके साथ कांग्रेस छोड़ने वाले डॉ. प्रभुराम चौधरी नई कैबिनेट में जगह नहीं बना सके, जबकि राज्यवर्धन दत्ती गांव तो चुनाव ही हार गए. अंचल से बाहर सिर्फ सागर से गोविंद राजपूत और इंदौर से तुलसीराम सिलावट ही जगह बना सके हैं.
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