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This Article is From Nov 03, 2023

Vidisha: 2018 में BJP के गढ़ में सेंध लगाने वाली कांग्रेस के लिए इस बार आसान नहीं होगी राह, जानें वजह

इस बार के चुनाव में विदिशा सीट को जीतने के लिए दोनों की मुख्य पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन 2018 की तरह इस बार का चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए बिलकुल भी आसान नहीं होने वाला है.

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Vidisha: 2018 में BJP के गढ़ में सेंध लगाने वाली कांग्रेस के लिए इस बार आसान नहीं होगी राह, जानें वजह

Madhya Pradesh Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश की सियासत में विदिशा जिला (Vidisha Assembly Seat) अपनी एक अहम भूमिका अदा करता आया है. यह जिला भाजपा का अभेद किला माना जाता है. विदिशा सीट से देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी चुनाव लड़ चुकी हैं. बुधनी के बाद अगर कोई सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का गढ़ कहलाता है तो वह विदिशा जिला ही है. शिवराज सिंह चौहान खुद यहां से पांच बार सांसद रह चुके हैं. 

BJP ने हारे हुए प्रत्याशी को ही दिया टिकट

इस जिले की सियासत में 2018 में बदलाव देखने को मिला, जब 46 साल बाद भाजपा के इस बड़े किले में कांग्रेस ने सेंध लगाकर अपना परचम लहराया था. इस जिले से वर्तमान कांग्रेस विधायक शशांक भार्गव (Congress Candidate Shashank Bhargav) ने अपना झंडा बुलंद किया, यही वजह रही कि विदिशा सीट को लेकर भाजपा में लगातार मंथन चलता रहा है. सबसे आखिरी में विदिशा विधानसभा का उम्मीदवार मुकेश टंडन (BJP Candidate Mukesh Tandon) को मैदान में उतारा गया. हालांकि, भाजपा से टिकट की दावेदारी बहुत से नेता कर रहे थे, लेकिन भाजपा ने हारे हुए उम्मीदवार पर ही अपना दांव लगाया.

राजनीतिक सूत्र यह भी बताते हैं मुकेश टंडन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) के बेहद करीबी माने जाते हैं. चर्चा यह भी है कि शिवराज सिंह चौहान मुकेश टंडन के टिकट को लेकर संघ से अड़े रहे. जिसके बाद भाजपा ने उन्हें ही टिकट दिया. 

श्याम सुंदर शर्मा ने शुरू कर दी थी तैयारियां 

बताया जा रहा कि संघ की तरफ से भाजपा नेता श्याम सुंदर शर्मा (Shyam Sundar Sharma) को लेकर टिकट की हरी झंडी मिल गई थी. यही वजह थी श्याम सुंदर शर्मा ने टिकट से पहले जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया था, लेकिन अंत में श्याम सुंदर शर्मा का टिकट काटा गया और मुकेश टंडन को फिर से प्रत्याशी बनाया गया.

पूर्व वित्त मंत्री की बेटी भी थीं सक्रिय

मध्य प्रदेश में चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद पूर्व वित्त मंत्री राघव भाई की बेटी ज्योति शाह (Jyoti Shah) के टिकट को लेकर भी चर्चाएं तेज थी. राघव भाई जनसंघ के समय से भाजपा के पुराने नेताओं में गिने जाते हैं. चर्चा ये भी थी कि केंद्र से ज्योति शाह का टिकट लगभग तय था, लेकिन अंतिम समय में उन्हें टिकट की रेस से बाहर कर दिया गया. 

कांग्रेस प्रत्याशी ने पहले से ही शुरू कर दी थी तैयारियां

विदिशा में भाजपा के टिकट बंटवारे में देरी का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कांग्रेस ने की. यहां के कांग्रेस प्रत्याशी शशांक भार्गव ने कई दिनों पहले से ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी. इस दौरान शशांक भार्गव ने विदिशा सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी चुनाव लड़ने की चुनौती दी थी. 

रूठों को मनाने में जुटी BJP

सालों से भाजपा नेताओं के गढ़ रहे विदिशा में कांग्रेस ने 2018 में जीत हासिल की थी. 2018 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां आकर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में रैली की थी. इसके बावजूद भी भाजपा यह सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकी थी. 2018 में भाजपा में जबरदस्त गुटबाजी देखने मिली थी, जिसके कारण भाजपा ने इस सीट को गंवा दिया था, लेकिन अब भाजपा किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. यही वजह है कि भाजपा के तमाम बड़े नेता रूठों को मनाने की कवायद में जुटे हैं. 

कांग्रेस में भी हो रही गुटबाजी

2018 में भाजपा ने जिन हालातों का सामना किया था, उन हालातों का सामना कांग्रेस 2023 में कर रही है. कांग्रेस के तमाम पुराने नेता इस चुनाव से अपने आपको दूर रखते नजर आ रहे हैं. बचे हुए स्थानीय नेता आसपास की विधानसभाओं में काम कर रहे हैं. इस चुनाव में विधायक शशांक भार्गव को पुराने कांग्रेस नेताओं की जगह नए कांग्रेसी नेताओं के दम पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है.

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