
Leopard Terror in Shivpuri: शिवपुरी (Shivpuri) जिला मुख्यालय से तकरीबन 38 किलोमीटर दूर एक गांव है, तेंदुआ (Tendua Village) इसका नाम तेंदुआ क्यों पड़ा और तेंदुआ (Leopard) से इसका क्या संबंध है? आखिर क्या वजह है कि इस गांव को छोड़कर तेंदुए का आतंक शिवपुरी जिले के हर गांव में बरकरार है? इन्हीं सवालों का जवाब देने के कोशिश इस स्टोरी में की गई है. NDTV की टीम ग्राउंड जीरो में पहुंचकर लोगों से बात की और सच जानने का प्रयास किया. देखिए ये रिपोर्ट.

Leopard in Shivpuri: तेंदुआ गांव
कहां है ये गांव? सुनिए तेंदुए की कहानी
तेंदुआ गांव शिवपुरी जिले के नेशनल हाईवे 27 के किनारे बसा हुआ है. इस गांव का इतिहास तकरीबन हजार साल पुराना है, लेकिन इस गांव का नाम तेंदुआ क्यों है? यह सवाल हमें थोड़ा परेशान करने लगा. जवाब ढूंढने हम निकल पड़े. गांव पहुंचे रास्ता पूछते पूछते. गांव वालों से मेल मुलाकात कर थोड़े सवालों का जवाब मांगते रहे. गांव वालों के मुताबिक यहां तेंदुआ वाली माता का मंदिर है और इस मंदिर के यहां होने की वजह और इस गांव का नाम तेंदुआ होने का हर एक जवाब भी है.

Leopard in Shivpuri: तेंदुए वाली माता का मंदिर

Leopard in Shivpuri: तेंदुए वाली माता का मंदिर
गांव वालों के मुताबिक गांव वालों ने जैसे ही यहां रहने की शुरुआत की उस दौरान तेंदुए की तादात कुछ ज्यादा ही रही होगी, जो लोगों को यहां रहने नहीं दे रही थी. तब गांव वालों ने अपनी प्रार्थना देवी माता से की और यहां इस गांव में देवी की मूर्ति को तेंदुए की सवारी पर स्थापित कर दिया. इसके साथ ही अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी माता को सौंप दी. गांव वालों के मुताबिक हैरान करने वाली बात तो यह निकलकर सामने आई की देवी की मूर्ति और मंदिर स्थापित होने के बाद तेंदुआ और इंसान दोनों दोस्त बन गए.
तेंदुए की दहशत खत्म
हम गांव में चारों तरफ घूम कर हर जगह देख रहे थे. मवेशी आराम से बिना किसी रोक-टोक और दहशत के खुले में घूम रहे हैं. पास के जंगल से निकलती मवेशियों की भीड़ जंगल में चारा चर रही है. गांव वाले अपने दादा परदादा से यह सब सुनते आए हैं कि और बता रहे हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर की पूजा कर रहे हैं. यहां के पुजारी भी यही बताते हैं.
शिवपुरी में अंग्रेजों की छावनी भी हुआ करती थी, ऐसे में हो सकता है कि शिकार खेलने अंग्रेज आए भी हो, लेकिन उसके बाद से यहां तेंदुए का कभी नहीं आना अपने आप में क्या कोई चमत्कार है? यह हम स्पष्ट रूप से तो नहीं जानते, लेकिन गांव वाले जो कहते हैं उस पर यकीन करने के अलावा हमारे पास और कोई प्रमाण भी नहीं.

Leopard in Shivpuri: तेंदुए वाली माता का मंदिर
यह यकीनन हैरान करने वाली बात थी, क्योंकि एक तरफ कूनो नेशनल पार्क तो दूसरी तरफ माधव नेशनल पार्क ऊपर से पूरे शिवपुरी जिले में जंगली जानवर तेंदुए का बड़ा आतंक था, लेकिन 1934 के बाद तेंदुआ गांव में तेंदुए का ना आना और इस गांव से दूर रहना. इसे जानने के लिए अपने आप में जो कुछ हमारे सामने आ रहा था वह रोचक है.
शिवपुरी जिले में तेंदुए के आतंक की बात करें तो कई ऐसे इलाके हैं बल्कि इस गांव से लगे हुए कई गांव भी ऐसे हैं, जहां उसने अपनी दहशत बरपाई है और ग्रामीणों के पालतू मवेशियों को अपना शिकार बनाने की कोशिश की है, लेकिन तेंदुआ गांव की सीमा के भीतर कभी नहीं आया.
डिस्क्लेमर: एनडीटीवी अपनी तरफ से किसी भी दावे को नहीं करता. स्टोरी में जो कुछ भी दिखाया और बताया गया है, वह गांव वालों की अपनी जानकारी और किस्से कहानियों पर आधारित है. 1934 की इस घटना को लेकर अंग्रेजी इतिहास या किसी और प्रामाणिक दस्तावेज में कहीं कोई उल्लेख नहीं है.
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