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CJI पर जूता फेंकने वाले वकील पहुंचे खजुराहो, सिर कटी भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर की पूजा

वकील राकेश कुमार ने खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति के सामने हवन और पूजा की. उन्होंने मूर्ति का सिर जोड़ने और एक छोटी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने की मांग की. साथ ही देशभर के खंडित मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग की और एएसआई पर मनमानी का आरोप लगाया.

CJI पर जूता फेंकने वाले वकील पहुंचे खजुराहो, सिर कटी भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने बैठकर की पूजा

सुप्रीम कोर्ट में CJI पर जूता उछालने वाले वकील राकेश किशोर गुरुवार को खजुराहो स्थित भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) के अधीन पूर्वी मंदिर समूह के जवारी मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने गर्भगृह में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति के सामने बैठकर हवन किया और पूजा की. यहां उन्होंने भगवान विष्णु की मूर्ति का सिर जोड़ने की मांग की.

मीडिया से बात करते हुए कहा कि मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति का सिर लगवाया जाए. साथ ही इसी मूर्ति की तरह एक भगवान विष्णु की छोटी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाए, ताकि यहां पूजा हो सके.

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खंडित मंदिरों के जीर्णोद्धार की मांग की

पूजा करने के लिए खजुराहो के सभी मंदिरों के गर्भगृह के ताले खोले जाएं. उन्होंने सरकार से मांग की कि देशभर के सभी खंडित मंदिरों का जीर्णोद्धार करना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एएसआई मनमानी कर रहा है.

उन्होंने कहा कि जब भोजपुर में शिवलिंग को ठीक किया जा चुका है और संभल में मस्जिद को सुंदर बनाने के लिए रंग रोगन किया जा रहा है तो फिर हिंदू मंदिरों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? उन्होंने वर्ष 1958 में बना एक्ट खत्म करने की मांग की.

चलाना होगा खजुराहो बचाओ अभियान

उन्होंने कहा कि वे इसके पहले कई बार खजुराहो आ चुके हैं. उन्होंने इसके पहले कभी खजुराहो की दुर्दशा नहीं देखी. यहां की सड़कें, सफाई हर चीज नीचे जा रही है. स्थानीय व्यापारी कल अपनी दुकानें बंद कर हमारा सहयोग करें. उन्होंने कहा कि खजुराहो के व्यापारी अपनी दुकानें बंद करके हमारा सहयोग करें. साथ ही सभी जनप्रतिनिधियों को भी हमारा साथ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे 6 नवंबर को फिर इसी मंदिर आएंगे.

क्या है मामला

गौरतलब है कि राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में खजुराहो के जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की सिर कटी प्रतिमा का सिर जुड़वाने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था. याचिका पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने 17 सितंबर को तल्ख टिप्णी की थी और कहा था कि यह मामला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के अंतर्गत आता है. सुप्रीम की तल्ख टिप्पणी के बाद वकील राकेश कुमार ने जस्टिस गवई के टिप्पणी का विरोध करते हुए 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अंदर जूता फेंकने की कोशिश की थी.

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