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गरीबों को अधिकारियों की लापरवाही से आजादी कब? प्रदेश में 10.64 लाख टन गेहूं 'बर्बाद'

मध्यप्रदेश में सरकारी गोदामों में रखा लाखों टन गेंहू सड़ा हुआ है. जिसे भारतीय खाद्य निगम ने अनफिट कहकर लेने से मना कर दिया है . शासन कह रहा है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी. इसी के साथ बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसा सड़ा गेंहू कहीं गरीबों के राशन में खपाने की तैयारी तो नहीं थी? दरअसल साल 2020 में NDTV ने ही खुलासा किया था कि कैसे मध्यप्रदेश में गरीबों को मुफ्त में मिल रहा ये चावल, भेड़-बकरियों के खाने लायक भी नहीं है. चार साल भी हालात नहीं बदले हैं

गरीबों को अधिकारियों की लापरवाही से आजादी कब? प्रदेश में 10.64 लाख टन गेहूं 'बर्बाद'

Madhya Pradesh News: मध्यप्रदेश में सरकारी गोदामों में रखा लाखों टन गेंहू सड़ा (Wheat Rotten) हुआ है. जिसे भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) ने अनफिट कहकर लेने से मना कर दिया है . शासन कह रहा है कि दोषियों पर कार्रवाई होगी. इसी के साथ बड़ा सवाल ये है कि क्या ऐसा सड़ा गेंहू कहीं गरीबों के राशन (Ration Shop) में खपाने की तैयारी तो नहीं थी? दरअसल साल 2020 में NDTV ने ही खुलासा किया था कि कैसे मध्यप्रदेश में गरीबों को मुफ्त में मिल रहा ये चावल, भेड़-बकरियों के खाने लायक भी नहीं है. तब NDTV की रिपोर्ट के बाद खूब खलबली मची थी. यहां तक की दिल्ली से PMO ने राज्य सरकार से रिपोर्ट भी तलब की थी.

परेशान करने वाली बात ये है कि 4 साल बाद भी हालात में बदलाव नहीं हुए हैं. दरअसल अशोकनगर में जबलपुर से 2018 लेकर 2021 तक की खरीदी  का 2600 टन गेंहू का रैक भेजा गया था. ये गेहूं ऐसा है जो भेड़-बकरियों के भी खाने लायक नहीं है. खुद FCI यानी फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने राज्य सरकार को खत लिया है कि प्रदेश में 10.64 लाख टन गेहूं अनफिट है. इसमें से करीब साढ़े चार लाख मीट्रिक टन गेहूं तो उठाने लायक भी नहीं है. अशोकनगर में वेयर हाउस (warehouse) के मैनेजर उदय सिंह चौहान का कहना है कि 3 महीने पहले आए इस गेहूं की क्वॉलिटी थोड़ी खराब है. वे बताते हैं कि 3-4 साल पुराना  बारदाना खराब हो ही जाता है. अब जरा आंकड़ों के लिहाज से भी हालात पर निगाह मार लीजिए.  

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 इस पूरे मामले पर जब हमने राज्य के खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से सवाल किया तो उन्होंने बताया कि उनके पास भी शिकायत आई है कि गेहूं खराब हो गया है. जिसके बाद उन्होंने विभाग को जांच के लिए कहा है. जिसमें पता लगाया जाएगा कि ये अधिकारियों की गलती है या गोदाम मालिकों की. जांच के बाद जो भी जिम्मेदार होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वैसे चिंता की बात ये है कि मध्यप्रदेश में 5.37 करोड़ परिवार को मुफ्त में खाद्यान्न सरकार की ओर से दिया जाता है.    

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मध्यप्रदेश में 26 हजार 779 राशन की दुकानें हैं जहां से ये खाद्यान मिलते हैं. यहां से वन नेशन वन राशनकार्ड के तहत भी पात्र परिवार राशन ले सकते हैं. कुल मिलाकर ये समझा जा सकता है कि गेहूं की खराबी का मामला कितना गंभीर है. यदि इतनी बड़ी मात्रा में अन्न की बर्बादी होती है तो वो भी ठीक नहीं है और दूसरा यदि ये खराब अन्न लोगों को दिया जाता है तो ये एक बड़ा गुनाह है. 
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