
Water Conservation : जल ही जीवन है, इसकी हर एक बूंद को सहेजना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार और समाज को एक साथ सहयोगात्मक भाव से आगे आना होगा. ताकि स्वच्छ हवा-पानी मिल सके. इसीक्रम में चंबल क्षेत्र में मौजूद एक ऐतिहासिक झील सालों से अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही थी. झील में स्थित जलीय जीव के प्राण संकट में थे. बढ़ते प्रदूषण और जलकुंभी के चलते स्थिति काफी चुनौती पूर्ण बनती जा रही थी. लेकिन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक पहल ने झील को नया जीवन प्रदान कर दिया.
दरअसल, केंद्रीय मंत्री सिंधिया के प्रयासों से पुनर्जीवित हुई ऐतिहासिक चांदपाठा झील, जलकुंभी की सफाई के लिए सिंधिया ने ₹1.20 करोड़ की लागत से प्रदान की थी फ्लोटिंग वीड मशीन, अब पर्यटकों को आकर्षित कर रहा झील का सौंदर्य
ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रयासों से शिवपुरी स्थित माधव टाइगर रिजर्व की ऐतिहासिक चांदपाठा झील का प्राकृतिक सौंदर्य एक बार फिर लौट आया है. करीब 3.9 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली यह झील वर्ष 2022 में ‘रामसर साइट' के रूप में चिन्हित की गई थी, पर उसके बाद इसमें जलकुंभी का अतिक्रमण शुरू हो गया था. इससे न केवल झील की का अस्तित्व बल्कि प्राकृतिक जीव जंतुओं के जीवन पर भी संकट मंडराने लगा था.
₹1.20 करोड़ फ्लोटिंग वीड मशीन से हुई जलकुंभी की सफाई
केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने झील की बिगड़ती स्थिति को गंभीरता से लेते हुए इस विषय पर व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप किया और अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कीं. नवंबर 2024 में उन्होंने अपनी सांसद निधि से ₹1.20 करोड़ की लागत से जलकुंभी उन्मूलन के लिए अत्याधुनिक फ्लोटिंग वीड कलेक्टर बोट उपलब्ध कराई और उसका विधिवत उद्घाटन भी किया. इसके अतिरिक्त, वन विभाग द्वारा भी एक और मशीन लगाई गई. इन दोनों मशीनों की मदद से चांदपाठा झील की व्यापक सफाई और संरक्षण का कार्य प्रभावी ढंग से संपन्न हुआ. आज झील का जल फिर से स्वच्छ और पारदर्शी दिखाई देने लगा है.
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पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र
सफाई और संवर्धन के बाद चांदपाठा झील अब फिर से पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों की पसंदीदा जगह बन गई. जलकुंभी हटने से झील का साफ पानी, हरियाली और वन्यजीवों की वापसी ने इसके प्राकृतिक सौंदर्य को नया जीवन दिया. जिससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया बल मिलेगा.
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