
Tigers Day 2025: मध्य भारत की विंध्याचल पर्वत मालाओं की गोद में बसा खिवनी वन्यजीव अभयारण्य (Khivni Wildlife Sanctuary) बाघों का प्राकृतिक घर कहा जाता है. यह क्षेत्र जैव विविधता से भरा हुआ है, बाघों के रहने और संरक्षण के लिए मुफीद स्थान है. प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण नदी, झरने, पहाड़ और घास के मैदान. वह वातावरण जो टाइगर के संरक्षण और संवर्धन के लिए आवश्यक है यहां मौजूद है.


सीहोर और देवास जिले के जंगलों में 134 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला खिवनी वन्यजीव अभयारण्य में टाइगर की संख्या में लगातर इजाफा हो रहा है. वर्तमान में यहां बाघों की संख्या 10 हो गई है। 2 नर, 5 मादा और 3 शावक हैं. बरसात के दिनों में बाघ अपने पूरे कुनबे के साथ घास के मैदान मिडो में विचरण और मस्ती करते देखे जा सकते हैं.


बाघों का कुनबा बढ़ रहा
सेंचुरी में बाघों का कुनबा बढ़ रहा है, टाइगर के विचरण के लिए जंगल छोटे पड़ने लगे हैं. ऐसे में अब खिवनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के विस्तार का प्रस्ताव तैयार किया गया है, कार्य योजना पर अभयारण्य प्रबंधन खाका तैयार कर रहा है. इसको लेकर सीहोर और देवास जिले के वन मंडल अधिकारियों की बैठकें भी हो चुकी हैं.


जंगल का किया जाएगा विस्तार
सीहोर और देवास जिले के जंगल में विस्तार किया जाना है. दोनों जिलों में 1500 हेक्टेयर जंगल बढ़ाया जाएगा, जिससे बाघों को घूमने, रहने के लिए और भी ज्यादा जंगल उपलब्ध रहेगा.


अभ्यारण का दायरा बढ़ेगा
रेंजर भीम सिंह सिसोदिया ने बताया कि आने वाले दिनों में बाघों की संख्या सेंचुरी में बढ़ेगी. यह स्थान जैव विविधता की दृष्टि से परिपूर्ण है. बाघों के वितरण और उनकी संख्या को ध्यान में रखते हुए सेंचुरी का विस्तार किए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसका कार्य चल रहा है. अभ्यारण का दायरा बढ़ाया जाएगा.