Gandhi Jayanti : एक दौर था जब खादी के कपड़े नेताओं और उम्रदराज लोगों की पंसद कहे जाते थे.... लेकिन वक्त ने करवट ली और अब यह युवाओं को भी आकर्षिक करने लगी. खादी ग्रामोद्योग की तरफ से थोड़ा सा बदलाव किया गया और खादी का बाजार भी अब विशेष अवसरों का मोहताज नहीं रहा. नेताओं, युवाओं और महिलाओं को भी खादी के कपड़े खासा पसंद हैं. खादी के जनक कहे जाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर NDTV ने खादी दुकानदारों और उपभोक्ताओं से बातचीत की.
एक दशक से खादी के व्यापार में आया सुधार
कहा जाता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी को राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ते हुए इसे हर गांव, हर घर तक पहुंचाने का सपना देखा था. हाल के दिनों में युवाओं में भी खादी की मांग बढ़ी है. खादी ग्रामोद्योग के खादी इंपोरियम में बड़ी संख्या में युवा खादी के वस्त्रों की खरीदारी करने पहुंच रहे हैं. गांधी जयंती से लेकर दुर्गा पूजा, दीपावली को लेकर खादी के भंडारों में कपड़ों का विशेष कलेक्शन रहता है. बताया जाता है कि खादी के कपड़े न सिर्फ सादगी लुक देता है, बल्कि इसकी खासियत यह है कि अब इसे किसी भी मौसम में पहन सकते है. गर्मी में खादी के कपड़े आरामदायक होते हैं तो सर्दी में यह गर्माहट देते है.
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बाजारों में अब मिलने लगी डिजायनर खादी
खादी में तरह-तरह के डिजाइनर कपड़ों की भरमार है, जिसे हर वर्ग के लोग पसंद कर रहे हैं. इसका क्रेज अब युवाओं में भी देखा जा रहा है. खादी के कपड़ों के लेटेस्ट डिजाइन में शर्ट, कुर्ता, लॉन्ग कुर्ती , प्लाजो, एंकल लेंथ पैंट, लेडिज बंडी की मांग है बढ़ी है. यहां तक की साड़ी की बात करें, तो खादी सिल्क में कई वेराइटी उपलब्ध हैं.
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