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पर्यावरण को हानिकारक गैसों से बचाएगी ये मशीन, कटनी के युवक का कमाल, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा करने में आ रही परेशान

सुनील कुशवाहा ने वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक अनोखी मशीन तैयार की है, जो हवा को शुद्ध करने में मदद करती है. इस मशीन में 9 फिल्टर स्टेज हैं जो जहरीली गैसों और कार्बन कणों को हटाकर प्राकृतिक हवा में बदल देते हैं.

पर्यावरण को हानिकारक गैसों से बचाएगी ये मशीन, कटनी के युवक का कमाल, लेकिन प्रोजेक्ट पूरा करने में आ रही परेशान

ओजोन परत (Ozone Layer) और पर्यावरण को हानिकारक गैसों से बचाने के लिए कटनी के एक युवक ने ऐसा उपकरण तैयार किया है, जो वायुमंडल में हानिकारक गैसों को प्यूरीफाइड करते हुए साफ हवा में बदल देता है. लगातार आर्थिक परेशानी के कारण वह अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को सफल नहीं कर पा रहे हैं. सुनील का कहना है कि वह फाइनेंस के लिए विभागों के कई बार चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं.

95 प्रतिशत हवा करता है साफ

कटनी जिले के बड़वारा तहसील क्षेत्र के मझगवां गांव के रहने वाले सुनील कुशवाहा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Mechanical Engineering) की पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद उसने स्काई ओजोन लेयर 0.5 स्मोक क्लीन एयर प्यूरिफायर बनाया है. इससे 95% प्रदूषित हवा साफ हवा में बदल जाती है, अगर प्रदूषित हवा में कार्बन के कण और जहरीली गैस चुंबकीय कण हैं. मशीन में फिल्टर F1 से F9 तक बना है, जिससे यह काम क्रमबद्ध तरीके से होता है, लेकिन सुनील की आर्थिक हालात के कारण यह मशीन अब एक बंद कमरे में कैद होकर रह गई है.

जबकि तमाम विभाग सुनील की इस उपलब्धि को देखते हुए प्रशस्ति पत्र देकर 2020 में सम्मानित भी के चुके है. सुनील को ऑर्डर भी मिल रहे हैं, लेकिन पैसे के अभाव में उसका अविष्कार दम तोड़ रहा है.

इसलिए आया मशीन बनाने का ख्याल

सुनील कुशवाहा ने बताया कि वह ट्रेन में जब यात्रा कर रहा था तो इंजन के बाद दूसरे डिब्बे में बैठे तो उन्हें बहुत धुआं पड़ रहा था. सांस लेने में समस्या आ रही थी, तब उन्होंने ऐसे समाधान के प्रयास के बारे में सोचा. इसके बाद पता चला कि दिल्ली में एयर पॉल्यूशन से 40 से 50% बच्चे प्रभावित हैं. दुनिया के साथ-साथ भारत की भी यह प्रमुख समस्या है. इसके बाद लोगों की मदद के लिए रिसर्च करना शुरू किया और फिर मशीन तैयार कर ली. सुनील का कहना है कि यह मशीन बनाने के बाद उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वह पीएमओ (PMO) में कई पत्र लिखने के साथ ईमेल भी कर चुके हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिली है.

2020 में बनाई थी मशीन

इससे वह प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं. यह मशीन 2020 में बनाई थी, लेकिन तब से आर्थिक मदद नहीं मिलने से प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा है. इस मशीन को बनाने में 3 से 4 लाख की लागत आती है. मशीन कैसे काम करती है, इसकी जानकारी देते हुए सुनील ने बताया कि मशीन के 9 फिल्टर के स्टेज हैं, जिसमें जहरीली गैसें होती है, कार्बन होते है जिन्हें मशीन के माध्यम से प्यूरिफायर करते हुए नेचुरल हवा में तब्दील कर देते हैं.

अभी तक 3 हजार से ज्यादा ऑर्डर उन्हें मिले हैं, लेकिन पैसों के अभाव में वह काम शुरू नहीं कर आ रहे हैं. हालांकि अभी जबलपुर कटनी सहित अन्य जिलों से उनके प्रोजेक्ट में मदद देने की बात कह रहे हैं, लेकिन अबतक कोई ठोस व सार्थक मदद शुरू नहीं हो पाई है.

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