Kashi Tamil Sangamam 4.0: काशी तमिल संगमम 4.0 का आगाज हो चुका है. यह कार्यक्रम 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के सार को दर्शाता है जो लोगों को अपनी संस्कृति के अलावा अन्य समृद्ध संस्कृतियों को समझने और उनकी सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करता है. यह पहल शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित है, जिसमें आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रमुख ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल हैं. रेलवे सहित 10 मंत्रालयों की भागीदारी से, यह कार्यक्रम दोनों क्षेत्रों के छात्रों, कारीगरों, विद्वानों, आध्यात्मिक गुरुओं, शिक्षकों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को एक साथ जोड़ता है, जिससे उनके बीच विचारों, सांस्कृतिक विधियों और पारंपरिक ज्ञान का आदान-प्रदान सुगम होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार से शुरू हुए ‘काशी तमिल संगमम' के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह जीवंत कार्यक्रम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को और गहरा करता है. वहीं रेलवे ने स्पेशल ट्रेनों का ऐलान किया है. मंगलवार से शुरू हो रहा काशी तमिल संगमम का चौथा संस्करण तमिलनाडु और काशी के बीच लंबे समय से चले आ रहे सांस्कृतिक संबंध को निरंतरता देता है. यह संस्करण 'आइए तमिल सीखें-तमिल करकलम' विषय पर केंद्रित है, जो वाराणसी के स्कूलों में तमिल शिक्षण पहल, काशी क्षेत्र के छात्रों के लिए तमिलनाडु के अध्ययन दौरों और तेनकाशी से काशी तक प्रतीकात्मक ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान के माध्यम से दोनों क्षेत्रों के बीच भाषाई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है.
PM मोदी ने ये कहा
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “काशी तमिल संगमम आज प्रारंभ हो रहा है. यह जीवंत कार्यक्रम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को गहराता है. संगमम में शामिल होने आ रहे सभी लोगों को काशी में सुखद और यादगार प्रवास की शुभकामनाएं!”
पहला संस्करण (2022) लगभग एक महीने तक आयोजित हुआ था, जिसमें दोनों राज्यों के विद्वानों, छात्रों, कलाकारों और श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया था और ये इसका चौथा संस्करण है, जिसकी शुरुआत वाराणसी में मंगलवार से हुई और जिसका समापन समारोह रामेश्वरम में आयोजित किया जाएगा, जो भारत के उत्तर और दक्षिण के पवित्र छोरों के प्रतीकात्मक जुड़ाव को दर्शाता है.
इस बार की थीम ये है
इस बार का थीम “तमिल सीखें” रखा गया है. इसका उद्देश्य तमिल भाषा की समृद्धि और शास्त्रीय साहित्यिक विरासत को प्रोत्साहित करना है, विशेषकर उत्तर भारतीय छात्रों को इस विरासत से जोड़ना है. काशी तमिल संगमम फिर एक बार उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का सेतु बनने की ओर अग्रसर है.
स्पेशल ट्रेनों का ऐलान
भारतीय रेलवे कन्याकुमारी, चेन्नई, कोयंबटूर और वाराणसी के बीच सात विशेष ट्रेनों का संचालन कर रहा है ताकि चौथे काशी तमिल संगमम में बड़े पैमाने पर भागीदारी सुनिश्चित की जा सके और तमिल भाषी क्षेत्र व काशी के प्राचीन आध्यात्मिक केंद्र के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ किया जा सके. इन विशेष ट्रेनों को इस बहु-दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में आने वाले लोगों के लिए निर्बाध यात्रा, आरामदायक लंबी दूरी की कनेक्टिविटी और समय पर आगमन सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित किया गया है.
29 नवंबर को कन्याकुमारी से पहली ट्रेन के रवाना होने के साथ इन सेवाओं की शुरुआत हुई थी. इसके बाद मंगलवार को चेन्नई से एक अतिरिक्त विशेष ट्रेन रवाना हुई. अगली प्रस्थान 3 दिसंबर को कोयंबटूर से, 6 दिसंबर को चेन्नई से, 7 दिसंबर को कन्याकुमारी से, 9 दिसंबर को कोयंबटूर से और 12 दिसंबर को चेन्नई से है.
इन नियोजित प्रस्थानों के साथ, तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से बनारस के लिए कुल सात विशेष ट्रेनें एक सुव्यवस्थित और चरणबद्ध तरीके से चलेंगी. समय पर वापसी की यात्रा सुनिश्चित करने के लिए, भारतीय रेलवे ने बनारस से कई विशेष रेलगाड़ियों की व्यवस्था की है. इनमें 5 दिसंबर को कन्याकुमारी, 7 दिसंबर को चेन्नई और 9 दिसंबर को कोयंबटूर के लिए ट्रेन शामिल हैं. इसके अलावा 11 दिसंबर को चेन्नई, 13 दिसंबर को कन्याकुमारी, 15 दिसंबर को कोयंबटूर और 17 दिसंबर को चेन्नई के लिए भी अतिरिक्त रेलगाड़ियां चलेंगी.
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