मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है. इस दौरान लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया भी चर्चा में हिस्सा लिया. लोकसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने पुराने दोस्त राहुल गांधी और गौरव गोगोई को निशाने पर लेते हुए कहा है कि "कल राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है. प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को दुनिया से जोड़ा है, उनका पूर्वोत्तर से गहरा रिश्ता है. भारत को बांटकर देखने की विचारधारा आपकी है, हमारी नहीं."
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने चर्चा के दौरान कहा "जो ये दृश्य प्रजातंत्र के मंदिर में देख रहे हैं. इस देश का सद्भाव, देश की विचारधारा निर्मित की जाती है. जिस मंदिर से 140 करोड़ जनता अपनी प्रेरणा लेती है, उस प्रजातंत्र के मंदिर में ये स्पष्ट हो गया है कि इन लोगों को न देश की चिंता है, न राष्ट्रपति पद की चिंता है. इन लोगों को अपने हैसियत की चिंता है."
कांग्रेस पर वार करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने पूछा कि मणिपुर के सांसद क्यों नहीं बोल रहे, उस वक्त जब आपकी सरकार (1993) केंद्र और राज्य में थी मणिपुर के सांसद ने रोते-रोते संसद में कहा था कि राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती. उसका पास फंड नहीं है. कृपया ये मान लीजिए कि मणिपुर भारत का ही हिस्सा है.
सिंधिया ने आगे कहा, ''मैं बताना चाहता हूं कि जिस प्रधानमंत्री ने उत्तर पूर्वी राज्य को विश्व से जोड़ा है, जिस प्रधानमंत्री का उत्तर पूर्वी राज्य से दिल का रिश्ता है. देश के दुश्मनों को उत्तर पूर्वी राज्यों से खदेड़ कर भगाया है. जिस पीएम के रोम रोम में भारत माता बसती हो. जिस पीएम ने अनुच्छेद 370 हटाया हो. मैं विपक्ष को बताना चाहता हूं कि भारत को अलग अलग टुकड़ों में देखने की विचारधारा आपकी (कांग्रेस) की है.''
सिंधिया ने कहा, ''आज मैं अपने एनडीए के गठबंधन और पीएम मोदी का धन्यवाद करना चाहता हूं कि उन्होंने बोलने का मौका दिया. जिस प्रजातंत्र के मंदिर में ऐसा दृश्य देख रहे हैं. 140 करोड़ की जनता जिससे प्रेरणा लेती है. वहां से स्पष्ट है कि इन लोगों को देश की चिंता है, न प्रधानमंत्री के पद की चिंता है, न राष्ट्रपति के पद की चिंता है. इन्हें बस इन्हें हैसियत की चिंता है.''
भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने कहा, ''नॉर्थ ईस्ट की सारी समस्या कांग्रेस की तुष्ठिकरण के कारण शुरू हुई. साल 1960 के दशक में मणिपुर में अलगाववादियों ने हिंसा शुरू की तो कौन लोग इनसे चर्चा करने को तैयार थे. आप भूल गए कि मणिपुर जब 1993 में जल रहा था तो आपकी सरकार केंद्र और राज्य दोनों में थी.''