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झांसी की घटना कहीं भोपाल में न हो जाए! NDTV ने सरकारी अस्पतालों की पड़ताल, ठीक नहीं हैं हाल

Fire Safety Act: हाल ही में झांसी मेडिकल कॉलेज में भीषण आग लग गई थी. इससे पहले मध्य प्रदेश के ही कई हॉस्पिटल्स में आगजनी हो चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी प्रबंधन सुरक्षा के इंतजाम नहीं कर रहे हैं. दिखावे के लिए काम कर दिया जाता है, लेकिन अप्रिय स्थिति होने पर ये सभी उपकरण नाकाफी साबित होते हैं. NDTV ने भोपाल के सरकारी हॉस्पिटल का रियलिटी चेक किया, जिसमें यह बात सामने आयी है कि न तो यहां कोई फायर सेफ्टी एक्ट लागू हो पाया है न ही सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था है.

झांसी की घटना कहीं भोपाल में न हो जाए! NDTV ने सरकारी अस्पतालों की पड़ताल, ठीक नहीं हैं हाल

Jhansi Medical College Fire News: झांसी मेडिकल कॉलेज में हुई आगजनी की घटना (Jhansi Medical College Fire Case) के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में सीएमएचओ (CMHO) ने अस्पतालों (Hospitals) में आगजनी की घटना से निपटने के लिए गाइडलाइन जारी की है, इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि अस्पतालों में फायर सिस्टम (Fire System) और फायर एक्सटिंगिवीशर चालू हालत में हों, फायर एक्सटिंगिवीशर की रिफिलिंग समय पर हो, लेकिन सरकारी अस्पतालों में तमाम घटनाओं के बाद लापरवाही का आलम है. मध्यप्रदेश को अभी भी फायर सेफ्टी एक्ट (Fire Safety Act) का इंतज़ार है. राजधानी भोपाल के जिला अस्पतालों का रियलिटी चेक करने जब NDTV की टीम पहुंची तो शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया (Hamidia Hospital) और जयप्रकाश अस्पताल (JP Hospital) में इंतज़ाम नाकाफी मिले.

हमीदिया अस्पताल : गार्ड फिट, प्रबंधन अनफिट

सबसे पहले हमारी टीम पहुंची हमीदिया अस्पताल. भोपाल में हमीदिया अस्पताल के गार्ड चौकस थे, काश 3 साल पहले अस्पताल प्रबंधन भी इतना ही चौकस होता तो सरकारी रिकॉर्ड में 4 बच्चों की जान बच जाती, जो अस्पताल में लगी आग में ज़िंदा जल गये थे. कहा जाता है कि उस वक्त वार्ड में 40 बच्चे थे, जांच में पता चला था कमला नेहरू हॉस्पिटल में 15 साल से फायर NOC नहीं ली गई थी.

NDTV की टीम कमला नेहरू अस्पताल पहुंची, गाड़ी से उतारते ही हमने देखा कि चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, जिनकी नज़र सब पर है, जैसे ही अंदर दाखिल होते है तो गार्ड पूछताछ करता है और पूछने पर सेकंड फ्लोर पर जाने को कह देता है, हम भी लिफ्ट से तीसरे फ्लोर पर जाने लगे जहां तीन साल पहले आग लगी थी.

तीसरे फ्लोर तक लिफ्ट पहुंचती ज़रूर है, लेकिन नीचे आने के लिए सभी लिफ्ट बंद हैं. ज़्यादातर लिफ्ट अस्पताल के इस बिल्डिंग में बंद हैं. कमला नेहरू का तीसरा फ्लोर और वार्ड बंद अब हो चुका है. तीन साल पहले जहां चीख-पुखार मची थी आज वहां सन्नाटा है. सब वैसे ही बिखरा पड़ा है फ्लोर पर, हमारे अलावा कोई नहीं था, जहां आग लगी थी, उस जगह को बंद कर रखा था, इस फ्लोर का सन्नाटा डरा भी रहा था, लेकिन पूरे फ्लोर पर आग से सुरक्षा के कोई इंतज़ाम अभी भी नहीं थे.

लिफ्ट बंद होने की वजह से हमने पैदल ही पड़ताल करने निकल पड़े, आगे चलते हुए हम तीसरे से दूसरे फ्लोर पर आये जहां आते हुए पूरे फ्लोर पर कहीं भी फायर एक्सटिंगगुशेर नहीं दिखे, एक जगह फायर हाईड्रेन्ट ज़रूर दिखा लेकिन उसपर भी ताला लगा हुआ था और धूल खा रहा है.

इतनी बड़ी घटना के बावजूद अभी तक अस्पताल में फायर स्प्रिंकलर सिस्टम भी नहीं है. धुआं निकलने के लिए जगह नहीं है. खिड़कियों को प्लास्टिक शीट से कील लगाकर ढंका गया है, आसानी से निकालना मुश्किल है.

ऐसे ही JP की हालत है

ये एक अस्पताल की हालत नहीं है, राजधानी के सरकारी अस्पताल जय प्रकाश अस्पताल में भी यही हालत है. स्प्रिंकलर सिस्टम की पाइपलाइन बिछा दी है पर कनेक्शन और स्प्रिंकलर ही नहीं है. फायर एक्सटीन्गुइशेर पर हाथ से ही रिफिलिंग की तारीखें भर दी है, स्पेशल चाइल्ड केयर यूनिट के पास ही इलेक्ट्रिक रूम है, जहां लापरवाही के कारण कभी भी हादसा हो सकता है.

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