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Jal Jeevan Mission: जल जीवन मिशन को लेकर CM मोहन का बड़ा ऐलान, कहा- MP में इस तारीख तक हो जाएंगे सभी काम

Jal Jeevan Mission: मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों और महिला समूहों को राज्य, संभाग, जिला और ग्राम स्तर पर सम्मानित किया जाए. विगत 10 वर्षों में जिन ग्रामों को जल संकट का सामना करना पड़ा है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर उन क्षेत्रों में जल की पहुंच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

Jal Jeevan Mission: जल जीवन मिशन को लेकर CM मोहन का बड़ा ऐलान, कहा- MP में इस तारीख तक हो जाएंगे सभी काम
Jal Jeevan Mission: जल जीवन मिशन की डेडलाइन; CM मोहन का बड़ा ऐलान, MP में अब इस तारीख तक हो जाएंगे सभी काम

Jal Jeevan Mission Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) ने लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग (PHE Department) की समीक्षा करते हुए कहा कि “प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि जल स्रोतों में सीवरेज का दूषित जल किसी भी स्थिति में नहीं मिले और इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाई जाए.” मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जल जीवन मिशन को दिसंबर 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन मध्यप्रदेश इस कार्य को मार्च 2027 तक पूर्ण कर राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल पेश करेगा. उन्होंने कहा कि मिशन के संचालन-संधारण के लिए मजबूत व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि किसी भी परिस्थिति में जल आपूर्ति प्रभावित न हो.

बेहतरीन काम करने वालों का होगा सम्मान

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह भी कहा कि जल जीवन मिशन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों और महिला समूहों को राज्य, संभाग, जिला और ग्राम स्तर पर सम्मानित किया जाए. विगत 10 वर्षों में जिन ग्रामों को जल संकट का सामना करना पड़ा है, उनकी रिपोर्ट तैयार कर उन क्षेत्रों में जल प्रदाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जल की उपलब्धता के अनुसार जल वितरण का समय तय किया जाए, जिससे नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो सके. मिशन के प्रभाव का विश्लेषण अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के माध्यम से कराए जाने की बात भी कही. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गाँव के ऐसे ट्यूबवेल की सूची बनवाएं, जिनमें हमेशा पानी रहता हो और ट्यूबवेल मालिक सेवाभावी हों. जरूरत पड़ने पर इनके ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति कराने का प्रयास करें.

बोरवेल दुर्घटना रोकने कानून बनाने वाला पहला राज्य

समीक्षा बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश बोरवेल दुर्घटना रोकने के लिए कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य है. साथ ही “स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान” में प्रदेश को पूरे देश में प्रथम स्थान मिला है. वर्ष 2024-25 में 12,990 करोड़ रु. का व्यय कर 92.89 प्रतिशत वित्तीय लक्ष्य हासिल किया गया है. वर्ष 2025-26 में 6,016 करोड़ रु. का व्यय किया गया है, जो 30 सितंबर 2025 तक 35.11 प्रतिशत की प्रगति दर्शाता है. प्रदेश में 21,552 ग्राम “हर घर जल” घोषित किए जा चुके हैं तथा 15,026 ग्रामों को प्रमाणित किया जा चुका है. समूह नल जल योजनाओं के माध्यम से 3,890 ग्रामों में नियमित जल आपूर्ति प्रारंभ हो चुकी है और एकल नल जल योजनाएँ 93 प्रतिशत प्रगति के साथ तेजी से पूर्णता की ओर अग्रसर हैं.

विभाग द्वारा तकनीकी और डिजिटल मॉनिटरिंग को प्राथमिकता दी जा रही है. जल रेखा मोबाइल ऐप के माध्यम से योजनाओं की सतत निगरानी की जा रही है. राज्य की सभी 155 प्रयोगशालाओं को एनएबीएल मान्यता प्राप्त हो चुकी है. ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए पंचायत दर्पण पोर्टल के माध्यम से डिजिटल जल कर संग्रह व्यवस्था लागू की गई है. इंदौर में IoT (इंटरनेट ऑफ थिंक्स) आधारित जल आपूर्ति मॉडल सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इसे अन्य जिलों में भी विस्तार दिया जा रहा है.

ऊर्जा प्रबंधन को देखते हुए 100 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजना PPP मॉडल पर स्वीकृत की गई है, जिससे आने वाले 25 वर्षों तक सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित होगी. इसके अतिरिक्त 60 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना पर भी कार्ययोजना तैयार की गई है. नागरिकों की सुविधा के लिए जलदर्पण पोर्टल संचालित है तथा शिकायत निवारण हेतु कॉल सेंटर स्थापित किए गए हैं. अभी 64 ग्रामों में 24×7 जल आपूर्ति पायलट रूप में सफल रही है, जिसे आगे और विस्तृत किया जाएगा.

भविष्य का प्लान

बैठक में भविष्य के विजन पर जानकारी देते हुए बताया गया कि आगामी तीन वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक घर तक सुरक्षित नल-जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. जल स्रोतों के संरक्षण, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, डिजिटल प्रबंधन, तकनीकी क्षमता संवर्धन और ऊर्जा सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. नए ग्राम, बसाहट, विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र, स्वास्थ्य संस्थान और महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों में पेयजल सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा, ताकि मध्यप्रदेश जल प्रदाय व्यवस्था में देश का अग्रणी राज्य बन सके.

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