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MP: जबलपुर में बनकर तैयार हुआ शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय, PM मोदी इस दिन करेंगे लोकार्पण

MP News: राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह की वीरता और बलिदान को याद करते हुए, यह संग्रहालय उनके संघर्ष और आदिवासी नायकों की गाथाओं को संजोने के लिए एक ऐतिहासिक प्रयास है.

MP: जबलपुर में बनकर तैयार हुआ शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय, PM मोदी इस दिन करेंगे लोकार्पण

Madhya Pradesh News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को मध्य प्रदेश के जबलपुर में राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की स्मृति में बने संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे. यह संग्रहालय 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों के योगदान और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है. राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में जनजातीय समाज को संगठित किया था. उनकी वीरता के लिए उन्हें 18 सितंबर 1857 को जबलपुर में अंग्रेजों ने तोप से बांधकर मृत्यु दंड दिया था.

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2021 में रखी थी आधारशिला 

संग्रहालय का निर्माण उसी स्थल पर किया गया है, जहां इन दोनों वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी. इस संग्रहालय में पांच प्रमुख गैलरी हैं, जिनमें गोंडवाना जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है. इस परियोजना की आधारशिला 2021 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रखी थी और इसे "आजादी का अमृत महोत्सव" के अंतर्गत तैयार किया गया है.

संग्रहालय में आधुनिक तकनीक के माध्यम से इन दोनों नायकों के संघर्ष और बलिदान को दिखाया जाएगा, ताकि लोग उनकी गाथाओं को समझ सकें.

यह संग्रहालय, मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की उस पहल का हिस्सा है जिसका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उन गुमनाम नायकों को सम्मानित करना है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से कम मान्यता मिली है. संग्रहालय में राजा शंकर शाह की कविताओं और उनके द्वारा ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजागरण को बढ़ावा देने वाले योगदान को भी शामिल किया गया है.

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ख़ास बातें 

1. उद्घाटन का अवसर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को जबलपुर में शंकर शाह और रघुनाथ शाह संग्रहालय का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे, जो आदिवासी नायकों को सम्मानित करने का उद्देश्य रखता है.
2. स्थापना का उद्देश्य: संग्रहालय का निर्माण 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी नायकों के बलिदान को श्रद्धांजलि देने और उनकी वीरता को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए किया गया है.
3. ऐतिहासिक स्थल: संग्रहालय का निर्माण उसी स्थान पर किया गया है जहां 18 सितंबर 1857 को शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह को अंग्रेजों ने तोप से उड़ा दिया था.
4. गैलरी और प्रदर्शन: संग्रहालय में पांच प्रमुख गैलरी हैं, जो गोंडवाना जनजाति की सांस्कृतिक धरोहर और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं को प्रदर्शित करती हैं.

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5. आधुनिक तकनीक: संग्रहालय में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर शंकर शाह और रघुनाथ शाह के संघर्ष और बलिदान की कहानियां प्रस्तुत की जाएंगी, ताकि आगंतुक इसे गहराई से समझ सकें.
6. "आजादी का अमृत महोत्सव": इस संग्रहालय की आधारशिला 2021 में रखी गई थी और इसे "आजादी का अमृत महोत्सव" के अंतर्गत तैयार किया गया है.
7. राजा शंकर शाह की कविताएं: शंकर शाह की कविताओं में देशभक्ति का संदेश था, जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूकता फैलाने में सहायक साबित हुईं.
8. ऐतिहासिक महत्व: संग्रहालय का उद्देश्य न केवल इतिहास को संरक्षित करना है बल्कि गुमनाम आदिवासी नायकों की गाथाओं को समाज के सामने लाना भी है.
9. सरकारी पहल: यह परियोजना मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से जनजातीय नायकों के योगदान को सम्मानित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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