Madhya Pradesh News : जबलपुर के नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय (Nanaji Deshmukh Veterinary Science University) ने तेंदुए के इलाज (Leopard Treatment) में नया प्रयोग किया है. मंडला (Mandala) में घायल हालत में मिले तेंदुए के इलाज के लिए यहां के विशेषज्ञों ने लेजर थेरेपी (Laser Therapy) की मदद ली, जिससे तेंदुए के घाव जल्दी भर रहे हैं. यह पहला ऐसा मौका है कि किसी तेंदुए के इलाज में इस थेरेपी का उपयोग किया गया हो.
जबलपुर के नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय में तेंदुए के इलाज में नया प्रयोग. विशेषज्ञों ने ली लेजर थेरेपी की मदद, जिससे तेंदुए के घाव जल्दी भर रहे हैं.#Jabalpur #leopard #wildlife #wildlifeconservation #ndtvmpcg pic.twitter.com/EhD9BZke9d
— NDTV MP Chhattisgarh (@NDTVMPCG) September 28, 2023
तेजी से स्वस्थ हो रहा है तेंदुआ
जबलपुर की नानाजी देशमुख वेटरनरी यूनिवर्सिटी ने बुरी तरह से घायल और लकवाग्रस्त पैरों को ठीक करने लेजर थेरेपी का उपयोग किया है. ऐसा प्रयोग इसलिए किया जा रहा है, जिससे कि तेंदुए के घाव तेजी जाएं. इस थेरेपी की मदद से तेंदुए किस तेजी से ठीक हो रहा है इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जो तेंदुआ दिन में आधा किलो मांस भी नहीं खा पा रहा था, अब वह दोनों वक्त में 4-5 किलो चिकन खा रहा है. तेजी से स्वस्थ होते इस तेंदुए को जल्द ही उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया जाएगा.
कोल्ड लेजर थेरेपी से पहली बार इलाज
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के वाइल्ड लाइफ सेंटर में कोल्ड लेजर थेरेपी का प्रयोग पहली बार इलाज में किया गया है. बता दें कि हॉट लेजर थेरेपी से पशुओं के आंख, कान और त्वचा की चोटों को भरने का काम किया जाता है. लेकिन कोल्ड लेजर थेरेपी में वन्यप्राणियों की हड्डियों और मांसपेशियों के घावों को भरा जाता है. पहली बार किए गए इस प्रयोग में सफलता मिलने से वाइल्ड लाइफ सेंटर के विशेषज्ञ काफी खुश हैं.
घायल अवस्था में यहां मिला था तेंदुआ
वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ शोभा जावारे ने बताया है कि मंडला के बम्हनी-बंजर के पास तेंदुआ बुरी तरह से घायल अवस्था में मिला था. इसके बाद कैनाइन डिस्टेंपर वायरस से पीड़ित होने का अंदेशा जताया गया था. हालांकि ब्लड रिपोर्ट में यह वायरस नहीं पाया गया, जिसके बाद पशु चिकित्सकों ने तेंदुए को ठीक करने का काम चुनौती के तौर पर लिया. अब तेंदुआ धीरे-धीरे रिकवर हो रहा है.