Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के दमोह की डेढ़ साल की मासूम गरिमा के फेफड़े में एलईडी लाइट फंसी थी. हां, वही जो खिलौनों या चाभी के झुमकों में जलती है. यह सुनकर डॉक्टर भी दंग रह गए. बच्ची सांस नहीं ले पा रही थी, हर खांसी उसके लिए मौत से जंग थी. लेकिन जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने वो कर दिखाया जो किसी बॉलीवुड मेडिकल थ्रिलर से कम नहीं.
रात 11 बजे शुरू हुआ मिशन ‘सांस'
26 अक्टूबर 2025 की रात, जबलपुर मेडिकल कॉलेज का आईसीयू अचानक अलर्ट मोड पर आ गया. ईएनटी और पीडियाट्रिक एक्सपर्ट्स की टीम ने जांच में पाया कि बच्ची गरिमा के दाहिने फेफड़े की मुख्य श्वसन नली में करीब डेढ़ इंच लंबी एलईडी फंसी है. डॉक्टरों के मुताबिक, “थोड़ी भी देरी होती, तो ऑक्सीजन सप्लाई रुक जाती.”

माइक्रो ब्रोंकोस्कॉपी बनी जीवनरेखा
बच्ची गरिमा की सांसें थम न जाएं, इसलिए ऑपरेशन तुरंत शुरू किया गया. महज कुछ मिलीमीटर चौड़ी नली से एलईडी को निकालना सुई की नोक पर जीवन बचाने जैसा ऑपरेशन था. ब्रोंकोस्कॉपी के ज़रिए चमकती एलईडी को धीरे-धीरे निकाला गया और आखिरकार वह पल आया जब रोशनी मशीन की स्क्रीन पर नहीं, गरिमा की सांसों में लौटी.
तीन दिन डॉक्टरों की निगरानी में
ऑपरेशन के बाद बच्ची को PICU में तीन दिन तक रखा गया. वेंटिलेशन, निगरानी और लगातार चेकअप के बाद 29 अक्टूबर 2025 को गरिमा को डिस्चार्ज किया गया. आज वह सामान्य है, खिलखिला रही है और उसके माता-पिता कहते हैं, “डॉक्टरों ने हमारे लिए भगवान बनकर लौटाया, एलईडी ने हमारी बच्ची की जान नहीं ली, बल्कि अब वही उसकी नई ‘लाइट ऑफ लाइफ' बन गई.” गरिमा के फेफड़े तक एलईडी कैसे पहुंची? इसका अभी पता नहीं चल पाया है.
यह भी पढ़ें- MP Foundation Day: मध्य प्रदेश स्थापना की रोचक बातें, भोपाल को राजधानी बनाने की वजह चौंकाने वाली