New Variety of Soybean Crop: इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने लंबे अनुसंधान के बाद एक नए किस्म के सोयाबीन (Soybean) की खोज की है. इस खास तरह के सोयाबीन को बिना प्री-प्रोसेसिंग (Without Pre Processing) के सीधे खाया जा सकता है. सबसे खास बात यह है कि इस सोयाबीन को उत्तर भारत (Northern India) के पहाड़ों पर भी विकसित किया जा सकता है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
अधिकारियों का कहना है कि प्रोटीन से भरपूर यह किस्म पहाड़ी क्षेत्रों में कुपोषण की समस्या से निपटने में मददगार साबित हो सकती है. ‘‘एनआरसी 197'' नाम की इस किस्म को विकसित करने वाले दो सदस्यीय अनुसंधान दल में शामिल प्रधान वैज्ञानिक डॉ. विनीत कुमार ने ‘‘पीटीआई-भाषा'' को बताया, ‘‘सीधे खाए जा सकने वाले सोयाबीन की किस्में मध्य भारत और दक्षिण भारत के लिए पहले ही विकसित की जा चुकी हैं. यह पहली बार है, जब उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों के लिए इस तरह के सोयाबीन की किस्म विकसित की गई है.''
उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु के मद्देनजर विकसित ‘‘एनआरसी 197'' नामक यह किस्म कुनिट्ज ट्रिप्सिन इनहिबिटर (केटीआई) से मुक्त है. आईआईएसआर में सोयाबीन की इस किस्म के विकास से जुड़े अनुसंधान में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अनीता रानी भी शामिल थीं. उन्होंने बताया कि आम किस्मों में पाए जाने वाले केटीआई के चलते सोयाबीन को सीधे नहीं खाया जा सकता और उसे खाने से पहले उबालने और ठंडा किए जाने की जरूरत होती है.
KTI फ्री है यह सोयाबीन
अनीता रानी ने कहा कि अगर केटीआई-युक्त सोयाबीन को बिना इस पूर्व प्रसंस्करण के सीधे खाया जाता है, तो इसके पाचन में दिक्कत हो सकती है, लेकिन ‘‘एनआरसी 197'' के साथ यह समस्या नहीं है क्योंकि यह केटीआई से मुक्त है. उन्होंने कहा, 'सोयाबीन की एनआरसी 197 किस्म में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. इसकी खेती को बढ़ावा देकर पहाड़ी इलाकों में कुपोषण की समस्या से निपटने में मदद मिल सकती है.'
जल्दी तैयार होगी इस तरह के सोयाबीन की फसल
अधिकारियों ने बताया कि 'एनआरसी 197' की एक खूबी यह भी है कि इसकी फसल पहाड़ी इलाकों में उगाई जाने वाली सोयाबीन की आम किस्मों के मुकाबले जल्दी पक जाती है. यह किस्म पहाड़ी इलाकों में बुआई के बाद 112 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. उन्होंने बताया कि सोयाबीन की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के 54वें वार्षिक समूह सम्मेलन में 'एनआरसी 197' को उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में उगाए जाने के लिए बाकायदा चिन्हित कर लिया गया है.
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