
Hindu Marriage Act 1955: इंदौर के फैमिली कोर्ट (Indore Family Court) ने एक जैन महिला की तलाक (Jain Woman Divorce) के लिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि जैन समाज अल्पसंख्यक (Minority in India) होने की वजह से हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत तलाक नहीं ले सकता है. इसके बाद याचिकाकर्ता ने इंदौर की हाईकोर्ट खंडपीठ (Indore High Court Bench) में अपील की है.
इंदौर के कुटुम न्यायालय (Family Court) में हाल ही में एक जैन महिला की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें महिला ने अपने पति के खिलाफ क्रूरता का आरोप लगाया और तलाक की अर्जी दायर की. सुनवाई में कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका वापस कर दी कि वर्ष 2014 में जैन समाज अल्पसंख्यक हो चुका है. ऐसे में हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत अब जैन समाज इसका लाभ नहीं ले सकता.
18 मार्च को हाईकोर्ट में सुनवाई
कोर्ट की सुनवाई के बाद इस मामले के अधिवक्ता प्रमोद जोशी ने बताया कि इसके खिलाफ हाईकोर्ट खंडपीठ इंदौर में अपील की गई है, जिसकी सुनवाई 18 मार्च को होगी. वहीं, अधिवक्ता जोशी ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि फैमिली कोर्ट नियम की धारा 7 के अंतर्गत कार्रवाई हो सकती है.
हालांकि ध्यान देने वाली बात ये है कि धारा 7 के अंतर्गत मुकदमा क्षेत्र अधिकार के अंतर्गत आता है और कुटुंब न्यायालय क्या प्रकरण सुन सकती है, उसके प्रावधान इसमें शामिल है.
आगे जोशी ने बताया कि जितने भी इससे जुड़े अल्पसंख्यक समाज के मुकदमे हैं, उनकी सुनवाई 18 मार्च को हाईकोर्ट में होगी.
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