Family Court Verdict: इंदौर के कुटुम्ब न्यायालय ने गुरुवार को पति से अलग रह रही एक 28 वर्षीय महिला के गुजारा भत्ता के दावे को यह कह कर खारिज कर दिया, क्योंकि उसने अपना आयकर और बैंक का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया. महिला ने कोर्ट से अपने पति से गुजारा भत्ता पाने का दावा किया था, लेकिन कोर्ट ने उसका दावा इस आधार पर खारिज कर दिया है कि उसने हलफनामे में बैंक खाते और आय का स्पष्ट ब्योरा अदालत में पेश नहीं किया.
हलफनामे में खुद आमदनी का ब्यौरा नहीं देने पर खारिज किया गुजारा भत्ते का दावा
रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर कुटुंब कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एन पी सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय के एक फैसले की रोशनी में यह दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने आदेश में कहा कि चूंकि महिला ने हलफनामे में अपने बैंकिंग लेन-देन से जुड़े किसी खाते का उल्लेख नहीं किया है, इसलिए लगता है कि वह खुद की आमदनी छुपा रही है.
महिला की आमदनी की घोषणा नहीं की, भत्ता का निर्धारण करना मुश्किल हुआ
कुटुम्ब न्यायालय ने कहा, ‘'प्रार्थी (महिला) आमदनी तो अर्जित कर रही है, लेकिन वह कितनी आमदनी अर्जित कर रही है, उसने इसका खुलासा नहीं किया है. इसलिए यह निर्धारण किया जाना संभव नहीं है कि दम्पति की नाबालिग संतान की परवरिश के लिए वह और प्रतिप्रार्थी (महिला का पति) कितनी राशि वहन करेंगे.
महिला संतान के भरण-पोषण के लिए भी पति से कोई राशि पाने की हकदार नहीं
कोर्ट ने कहा कि महिला नाबालिग संतान के भरण-पोषण के लिए भी पति से कोई राशि पाने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसने हलफनामे में बैंक खाते और आय का स्पष्ट खुलासा नहीं किया. महिला के पति के वकील जे एस ठाकुर ने बताया कि इस दम्पति का विवाह 2019 में हुआ था और पारिवारिक विवाद के चलते दम्पति 2021 से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं.
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