Madhya Pradesh Hight Court: इंदौर में बीआरटीएस (Indore BRTS) हटाने के फैसले के बाद भी जब बीआरटीएस नहीं हटाया गया तब हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. साथ ही बीआरटीएस कॉरिडोर की एक साइड की रेलिंग हटाने का काम 15 दिन में पूरा करने का आदेश दिया है. दरअसल, इंदौर में ट्रैफिक जाम से निजात पाने के लिए बीआरटीएस हटाने का फैसला लिया गया था. हालांकि काम पूरा नहीं होने के कारण हाईकोर्ट ने सभी अधिकारियों को फटकार लगाई थी.
हाई कोर्ट का फटकार
हाई कोर्ट की डबल बेंच में हुई सुनवाई के दौरान कमेटी ने बीआरटीएस को लेकर रिपोर्ट पेश की और कोर्ट ने भोपाल का उदाहरण देते हुए कहा जब वहां बीआरटीएस हटाने का फैसला हुआ तब 9 दिनों में रेलिंग हटाकर सड़के चौड़ी की गई थी. इंदौर में 10 माह बीत चुके हैं पर एक साइड की रेलिंग भी पूरी तरीके से नहीं है हटाई गई.
कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
आपको बता दें कि मामले में दूसरी सुनवाई 16 दिसंबर को होनी थी पर कलेक्टर और निगम कमिश्नर की ओर से SIR के कार्य में व्यस्त होने के कारण एक आवेदन लगाया गया था. आवेदन में 16 फरवरी तक का समय मांगा गया था. इस आवेदन पर कोर्ट ने पहले सत्र के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा SIR के साथ बीआरटीएस का काम भी जरूरी है, इसलिए सभी अधिकारी ढाई बजे तक कोर्ट में उपस्थित हो.
कलेक्टर शिवम वर्मा कोर्ट में हुए पेश
कोर्ट की सख़्ती के बाद कलेक्टर शिवम वर्मा, निगम कमिश्नर दिलीप यादव, ट्रैफिक डीसीपी आनंद कलांदगी डिवीजन बेंच के सामने पेश हुए. सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद याचकाकर्ता राजलक्ष्मी फाउंडेशन की तरफ से एडवोकेट अजय बागड़िया ने कोर्ट को धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके आदेश के बाद ही इतना काम हो सका.
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