
Madhya Pradesh Election Results: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की 4 नंबर विधानसभा सीट (Assembly Seat) वैसे तो भाजपा (BJP) के गढ़ के रूप में जानी जाती है, लेकिन 2023 के इस विधानसभा चुनाव (Assembly election) में यहां मिली भाजपा को बड़ी जीत की मुख्य वजह कांग्रेस का कमजोर प्रत्याशी रहा. इस बार कांग्रेस (Congress) ने जिस सिंधी समाज से अपना उम्मीदवार बनाया, उसी सिंधी समाज ने ही अपने समाज के कांग्रेस उम्मीदवार को वोट नहीं दिया.
इंदौर शहर की 4 नंबर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मालिनी लक्षमण सिंह गौड़ एक बार फिर चुनाव जीतने में कामयाब रही. उन्होंने अपनी ही जीत के रिकार्ड को एक बार फिर से तोड़ दिया. इससे पहले मालिनी लक्षमण सिंह गौड़ ने 2018 में विधानसभा का चुनाव 43090 वोटों से जीता था. वहीं, साल 2023 में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार मालिनी लक्षमण सिंह गौड़ ने 1 लाख 18 हजार 870 वोट हासिल किए हैं, जबकि कांग्रेस के राजा माधवानी को मात्र 49 हजार 33 वोट ही मिल सके. इस तरह इस चुनाव में मालिनी लक्षमण सिंह गौड़ 69 हजार 837 वोट हासिल कर प्रदेश की सबसे ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाले 10 उम्मीदवारों की सूचि में शामिल हो गई.
कमजोर उम्मीदवार ने डुबोई कांग्रेस की टिया
अगर इस चुनाव में जीत की मुख्य वजहों की बात करें, तो वह सबसे बड़ा कारण यह कांग्रेस की ओर से कमजोर उम्मीदवार उतारा जाना है. कांग्रेस ने यहां इतना कमजोर उम्मीदवार मैदान में उतार दिया कि वह अपने गृह वार्ड पालसिकर चौराहा से भी चुनाव जीत नहीं पाए. हालांकि, इंदौर शहर की महापौर रहते हुए क्षेत्र क्रमांक 4 की विधायक महारानी लक्ष्मण सिंह गौड़ ने इस विधानसभा में काफी काम किए थे. उनकी इस बड़ी जीत की एक वजह ये भी है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में खासा विकास कार्य किया था. इंदौर की महापौर रहते हुए इंदौर को देश के स्वच्छ शहर का पहला पुरस्कार मिला, जो लगातार 5 साल उनके महापौर रहते हुए इंदौर के ही खाते में गया. मतलब इस विधानसभा में हिंदुत्व के साथ-साथ विकास की गति भी उनके द्वारा रुकने नहीं दी गई.
पति की मौत के बाद पत्नी संभाल रखी है विरासत
इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 से इससे पहले उनके पति लक्ष्मण सिंह गौड़ विधायक थे, जो मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी रहे हैं. लेकिन, एक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ ने अपने पति की विरासत को संभाला और जीत का सफर लगातार जारी रखा.
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हालांकि, इस विधानसभा को भाजपा का गढ़ बनाने का क्रेडिट भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खाते में जाता है. 1990 में कैलाश विजयवर्गीय ने यहां से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर पहला चुनाव जीता था. उसके बाद 1993 से 18 तक गौड़ परिवार का ही इस विधानसभा पर कब्जा है. 1993 में पहली बार लक्ष्मण सिंह गौड़ यहां से विधायक बने इसके बाद 2003 तक सभी चुनाव वे जीतते रहे, उनकी मौत के बाद 2008 से मालिनी गौड़ लगातार तीन बार यहां से विधायक रही. इंदौर शहर की महापौर के बाद अब 2023 का चुनाव भी उन्होंने जीत लिया है.
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