देश में 31 जुलाई तक 6.77 करोड़ से भी ज्यादा ITR दाखिल हुए हैं. आयकर विभाग का दावा है कि ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है. लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुत बैतूल में भी एक रिकॉर्ड दर्ज हुआ है. यहां 44 लोगों को 1-10 करोड़ के टैक्स नोटिस मिले हैं. इसमें एक केस में तो महिला की मौत 10 साल पहले ही हो चुकी है. इसके अलावा ज्यादातर बेहद कम आय वाले शख्स हैं.
मौत हुई 10 साल पहले, अब भेजा 7.55 करोड़ का टैक्स नोटिस
उषा सोनी, बैतूल के पाथाखेड़ा के सरकारी स्कूल में टीचर थीं, 26 जुलाई को उनके परिवार को इनकम टैक्स से नोटिस मिला है फरमान है - 7 करोड़ 55 लाख 69 हजार 30 रुपए का टैक्स भरना है. परिवार पहले हैरान हुआ, अब परेशान हैं क्योंकि उषा सोनी ने लंबी बीमारी के बाद 16 नवंबर 2013 में दम तोड़ दिया था. उनके बेटे पवन सोनी कहते हैं, मेरी मां की मौत 2013 में हो गई थी जबकि एससमेंट 2017 का दिखाया जा रहा है. उनपर 7 करोड़ से ज्यादा कि रिकवरी बाकी बताई जा रही है. पवन ने कहा कि हमने पहले तो थाने में शिकायत दर्ज कराई कि ये किसी तीसरे व्यक्ति ने फ्रॉड किया है. उनकी जांच में सोर्स कंपनी का नाम भी दस्तावेज से मिला. ये कोई नेचुरल कॉस्टिंग कंपनी है. जिसने स्क्रैप की खरीद बिक्री की है. इसी लेन-देन में मां के पैन कार्ड का इस्तेमाल किया गया है. हमें इसकी जानकारी भी नहीं थी.
तमिलनाडु से हो गया 1.25 करोड़ टैक्स का खेल
नितिन सरिए की दुकान पर काम करके बमुश्किल 5 से 7000 महीना कमाते हैं. इन्हें भी इनकम टैक्स ने सवा करोड़ रुपए की डिमांड का नोटिस भेजा है. आयकर विभाग से पता लगा कि तमिलनाडु के कूट्रालम में उनके नाम का खाता है, जिसमें बड़ा लेन-देन हुआ इसलिये उन्हें 1,25,84, 800 का टैक्स चुकाना है. नितिन ने कहा आयकर विभाग ने नोटिस भेजा वहां मैं गया फिर पता लगा 1 करोड़ 25 लाख का टैक्स है ... फिर मैंने सोचा कि इतना टैक्स कैसे निकला, मुझे वहां से पता लगा तमिलनाडु में मेरा कोई खाता चला रहा है जिसमें लेन देन 2014-15 से चल रहा है, मैंने एफआईआर दर्ज करवाया है.
44 लोगों को मिला 1-10 करोड़ का टैक्स नोटिस
बैतूल जिले में 1-2 नहीं ऐसे 44 लोगों को ऐसे ही नोटिस मिलने की बात सामने आ रही है, जिनसे 1-10 करोड़ रु. इनकम टैक्स भरने को कहा गया है, फिलहाल 2 मामले पुलिस तक पहुंचे हैं. बैतूल पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी ने कहा 2 व्यक्तियों ने शिकायत की है इस संबंध में. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा इस तरह का व्यापार नहीं किया गया फिर भी उनके पैन कार्ड का इस्तेमाल किया गया ... हमने शिकायत प्राप्त की है इस संबंध में विस्तृत जांच के लिये निर्देशित किया है इसमें इनकम टैक्स से जानकारी लेकर ही कुछ कह पाना संभव होगा.
स्थानीय आयकर विभाग के बाद, कमिश्नर इनकम टैक्स, अपीलेट ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट सबका विकल्प है लेकिन जरा सोचिये वक्त, पैसा और मानसिक तनाव ... साधारण बोलचाल में इस हालत को कहते हैं खाया पिया कुछ नहीं ग्लास फोड़ा 12 आना ... लेकिन यहां तो साफ है कि दोनों परिवारों के नाम पर कोई और ग्लास लेकर चलता बना जिसके पैसे की मांग इनसे की जा रही है.