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Vidisha: मेडिकल कॉलेज में फर्जी डॉक्यूमेंट पर 4 साल से चल रही थी नौकरी, पति की शिकायत पर ऐसे हुआ खुलासा

Fake Job Scam: विदिशा के मेडिकल कॉलेज में एक बड़ा खुलासा हुआ है. यहां पति ने अपनी पत्नी की शिकायत करके फर्जीवाड़े की पोल खोल दी है. आइए जानते हैं पूरा मामला?

Vidisha: मेडिकल कॉलेज में फर्जी डॉक्यूमेंट पर 4 साल से चल रही थी नौकरी, पति की शिकायत पर ऐसे हुआ खुलासा
Government Medical College: विदिशा में फर्जी कागजात के आधार पर नौकरी का खुलासा

Fake Documents Scam: अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज (Vidisha Medical College) में फर्जी दस्तावेज़ों (Fake Documents) के आधार पर चार साल से नौकरी कर रही नर्स का मामला सामने आया है. यह खुलासा खुद उस नर्स के पति की शिकायत पर हुआ, जिससे कॉलेज प्रबंधन और भर्ती प्रक्रिया में गंभीर खामियां उजागर हुई हैं. फर्जी दस्तावेज़ों के माध्यम से 2021 में उषा उईके नाम की नर्स ने मेडिकल कॉलेज में नौकरी शुरू की. चार साल तक कॉलेज प्रशासन ने दस्तावेज़ों का सत्यापन किए बिना उसे वेतन दिया. मामला तब उजागर हुआ जब उसके पति ने आपसी विवाद के कारण उसकी शिकायत कर दी.

सरकार को लाखों का नुकसान

चार साल की नौकरी के दौरान फर्जी नर्स को लगभग 6 लाख रुपये का वेतन दिया गया. उसकी सैलरी 28 हजार रुपये प्रति माह थी. सवाल उठता है कि शासन की इस राशि की भरपाई कौन करेगा-कॉलेज प्रशासन या फरार नर्स?

अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज में लगभग 325 नर्सिंग स्टाफ कार्यरत हैं, जिनकी भर्ती एम्प्लाई सिलेक्शन बोर्ड, भोपाल के माध्यम से की जाती है. नियम के अनुसार, हर नर्स की तीन साल की परिवीक्षा अवधि होती है, जिसके दौरान दस्तावेज़ों और रजिस्ट्रेशन की जांच की जाती है. लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने किसी भी नर्स की जांच किए बिना सभी को पक्का कर दिया.

वास्तविक नर्स बनी पीड़ित

दिलचस्प बात यह है कि जिस नाम से फर्जी नर्स काम कर रही थी, उसी नाम की असली नर्स ने 2023 में नौकरी जॉइन की. लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने उसकी सैलरी पिछले पांच महीनों से रोक रखी है. अब वह न्याय पाने के लिए दर-दर भटक रही है.

भ्रष्टाचार या लापरवाही!

फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर नौकरी पाना और प्रशासन की ओर से बिना जांच के नौकरी पक्की कर देना यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं कॉलेज प्रबंधन और भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार या लापरवाही जरूर हुई है.

अधिकारियों पर उठे सवाल

अभी तक इस मामले में किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई है. न ही प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि फर्जी नर्स से वसूली की जाएगी या कॉलेज प्रबंधन को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

मेडिकल कॉलेज पर भी खड़े हुए सवाल

क्या कॉलेज प्रबंधन और एम्प्लाई सिलेक्शन बोर्ड की मिलीभगत से यह मामला चार साल तक दबा रहा?

क्या प्रशासन बाकी नर्सिंग स्टाफ के दस्तावेजों की भी जांच करेगा?

आखिर कब मिलेगी असली नर्स को उसका हक?

अधिकारियों का क्या कहना है?

अटल बिहारी कालेज की डीन डॉक्टर मनीष निगम कहते हैं जांच कमेटी बना दी गई है चार साल से शासन ने जो वेतन दिया है उसे भी वसूला जाएगा कमेटी के निर्णय पर अग्रिम कार्यवाही की जाएगी.

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