Cashew Cultivation In Balaghat : सालों पहले बालाघाट के किसानों ने अपनी मेहनत से जिले में काजू की खेती का प्रयोग किया था. इसके माध्यम से किसानों ने बेहतरीन नवाचार प्रस्तुत किया था. शुरुआती दौर में उत्पादन भी अच्छा हुआ था, लेकिन अब काजू किसान निराश हो रहे हैं. वजह है, सरकार से मदद का न मिलना. काजू उत्पादक किसानों ने कहा कि न तो हमारे लिए बाजार उपलब्ध है, न ही हमें काजू के सही दाम मिल पा रहा है. प्रोसेसिंग यूनिट की राह भी अधूरी है.
काजू के पेड़ों को काटने का ले लिया था निर्णय
NDTV से बात करते हुए शुक्रवार को किसानों ने कहा कि काजू की खेती तो शुरू हुई, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगने से काजू के सही दाम नहीं मिला. बता दें, इससे पहले किसानों ने काजू के पेड़ों को काटने का भी ऐलान किया था. लेकिन अब फैसले पर यू टर्न ले लिया है. उनका कहना है कि किसान के लिए फसल बेटे की तरह होती है, ऐसे में किसानों का पेड़ काटना ठीक नहीं रहेगा.
साल 2019 में शुरु हुई थी, प्रोसेसिंग यूनिट की कवायद
मिली जानकारी के अनुसार, बालाघाट के बैहर इलाके में साल 2019 से प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की तैयारी की जा रही है. लेकिन उद्यानिकी विभाग और जिम्मेदार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. वहीं, काजू किसानों को मार्केट दिलाने का भी आश्वासन दिया गया था.
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काजू के पेड़ अब सिर्फ बगीचा बनकर रह गए
काजू किसान बिरजू उइके ने बताया कि एक साल पहले काजू का बंपर उत्पादन हुआ था. लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से ये काजू रखे-रखे ही खराब हो गए. ऐसे में काजू के पेड़ सिर्फ बगीचा बनकर रह गए हैं. सरकार से हमें सहयोग नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, इस मामले पर NTDV ने जिले संबंधित अधिकारियों से बात करने की कोशिश की पर, वो काजू किसानों के सवालों के बचने का प्रयास करते रहे.
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