
Distributed AcousticSensing Simulation: भारतीय रेलवे ने हाथियों और अन्य वन्यजीवों को चलती ट्रेनों की चपेट में आने से बचाने के लिए एक नया एआई से लैस होने जा रही है. यह एआई (सक्षम) रेलवे ट्रैक पर घुसपैठ का पता लगाने वाला सिस्टम (आईडीएस) डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसर (डीएएस) का उपयोग कर रेलवे ट्रैक पर हाथियों और अन्य वन्यजीवों की मौजूदगी का पता लगाता है. इसके बाद तुरंत लोको पायलटों को रेल पटरियों के किनारे जानवरों की नज़दीक मौजूदगी के बारे में सचेत करता है.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में राज्यसभा में इस प्रणाली के बारे में जानकारी दी, जिसमें हाथियों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए रेलवे की प्रतिबद्धता दोहराई गई. इस संबंध में रेलवे की ओर से उठाए गए कई सुरक्षा उपायों को स्पष्ट करते हुए मंत्री ने कहा कि एआई-सक्षम घुसपैठ का पता लगाने वाला सिस्टम (आईडीएस) विकसित किया गया है और डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसर (डीएएस) का उपयोग करके रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए उपयोग में लाया गया है.
प्रोजेक्ट पर खर्च होगा 208 करोड़ रुपये
यह सिस्टम लोको पायलटों, स्टेशन मास्टरों और नियंत्रण कक्ष को ट्रैक के निकट हाथियों की आवाजाही के बारे में सचेत करता है, ताकि निवारक कार्रवाई की जा सके. वर्तमान में रेलवे के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, आईडीएस पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे में वन विभाग की ओर से पहचाने गए महत्वपूर्ण और अत्यधिक संवेदनशील स्थानों पर 141 किलोमीटर से अधिक रेलवे मार्गों पर काम कर रहा है. मंत्री ने कहा कि रेलवे द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा उपकरण हाथियों की सुरक्षा में बहुत प्रभावी ढंग से काम करता पाया गया है. मंत्री ने कहा कि आईडीएस के कार्यों को कुल 1,158 किलोमीटर लंबे रेल मार्गों के लिए चिह्नित गलियारों के लिए मंजूरी दी गई है, जिस पर 208 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा. आईडीएस उत्तरी रेलवे, उत्तर सीमांत रेलवे, ईसीओआर, एसआर, एसईआर, एनईआर, डब्ल्यूआर और पूर्व मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आने वाले वन क्षेत्रों को कवर करेगा.
हाथियों को बचाने के लिए किए जाएंगे सभी उपाय
उन्होंने यह भी कहा कि ईसीओआर में 349.4 किलोमीटर, दक्षिण रेलवे (एसआर) में 55.58 किलोमीटर और एनईआर में 36 किलोमीटर पर इस प्रणाली की स्थापना का काम चल रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी भी जोन में कोई ट्रेन हाथी से टकराती है, तो क्षेत्रीय रेलवे वन विभाग के साथ मिलकर मामले की जांच करेगा और गति प्रतिबंध लगाने सहित तत्काल कदम उठाएगा. मंत्री ने कहा कि वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चिन्हित स्थानों पर हाथियों की आवाजाही के लिए अंडरपास और रैंप का निर्माण भी किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें- सिवनी में BJYM नेता और थाना प्रभारी की कथित साजिश का ऑडियो वायरल, लाइन अटैच कर जांच जारी
मंत्री ने आगे कहा कि जानवरों को ट्रेनों की चपेट में आने से रोकने के लिए किए जा रहे कई उपायों के परिणामस्वरूप, हाथियों की मृत्यु 2013 के 26 से घटकर 2024 में 12 हो गई है. इन सबके अलावा, रेलवे ट्रैक पर हाथियों और अन्य जंगली जानवरों को रेलवे ट्रैक से भगाने के लिए अभिनव हनी बी बजर डिवाइस का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. एक अधिकारी ने कहा कि इस उपकरण की मदद से उत्पन्न ध्वनि हाथियों को रेलवे ट्रैक से दूर रखने में सहायता मिली है. उन्होंने कहा कि रात के समय या खराब दृश्यता के समय सीधी पटरियों पर जंगली जानवरों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए थर्मल विजन कैमरा का भी उपयोग किया जा रहा है, जो आने वाली ट्रेनों के बारे में लोको पायलटों को सचेत करेगा.
यह भी पढ़ें- President Murmu: छत्तीसगढ़ आ रहीं राष्ट्रपति मुर्मु, CM साय ने कहा- भगवान राम की ननिहाल में स्वागत