Sanchi: विरासतें बेहाल! सांची में बिखरी पड़ी हैं बेशकीमती पुरासंपदा, धरोहरों के संरक्षण पर उठे सवाल

Heritage Site: पुरातत्व विभाग की लापरवाही के बावजूद, ग्रामीण इस ऐतिहासिक कुछ धरोहर की देखरेख अपने परिवार की तरह कर रहे हैं. हालांकि, यह भी अब जमींदोज होने की कगार पर हैं. ग्रामीणों की निष्ठा और प्यार ने इसे अब तक सुरक्षित रखा है.

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Heritage Site: धरोहरों की दुर्दशा

Sanchi Heritage Site: सांची, यह स्थल अपने आप में अनमोल ऐतिहासिकता समेटे हुए है. इसकी प्राचीनता और महत्व को समझने के लिए देश-विदेश से पर्यटक (Tourist) यहां आते हैं. सांची की ऐतिहासिकता लगभग ढाई हजार साल पुरानी मानी जाती है और इसे विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) का दर्जा प्राप्त है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि आज भी यहां की पुरासंपदा उपेक्षा और लापरवाही का शिकार हो रही है. वहीं हाल ही में इस पहाड़ी पर सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित हुआ है. सौर ऊर्जा एजेंसी ने अपने निश्चित क्षेत्र में तार फेंसिंग कर दी है और यहां की एक संपदा को सुरक्षित कर लिया है. इससे इसके सुरक्षित रहने की आस थोड़ी बढ़ गई है. लेकिन कई विरासतें अभी भी बदहाल हैं.

अंग्रेजी शासनकाल के दौरान शुरुआत

सांची की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने के प्रयास अंग्रेजी शासनकाल में शुरू हुए थे. अंग्रेजी अधिकारियों ने इन धरोहरों की स्थिति को देखकर खुदाई करवाई और कई बेशकीमती वस्तुएं अपने देश ले जाने में सफल रहे. लेकिन उन्होंने यहाँ के ढाई हजार साल पुराने स्मारकों की खोज और उन्हें संरक्षित करने के लिए भी कुछ प्रयास किए थे.

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आजादी के बाद संरक्षण के प्रयास

देश के स्वतंत्र होने के बाद, केंद्रीय पुरातत्व विभाग के कंधों पर इन धरोहरों को सहेजने की जिम्मेदारी आई. इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए, लेकिन संरक्षण के नाम पर केवल कागज़ी योजनाएँ बनती रहीं. आजादी के 75 साल बाद भी यह बेशकीमती धरोहरें बिखरी पड़ी हैं और अपने संरक्षण का इंतजार कर रही हैं.

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बेशकीमती धरोहरों की दुर्दशा

बिखरी पड़ी कई अनमोल धरोहरें लापरवाही के कारण नष्ट हो चुकी हैं. कुछ धरोहरें मौका परस्त लोगों द्वारा चोरी कर ली गई हैं, और जो बची हैं वे भी देखरेख के अभाव में बर्बाद हो रही हैं. जबकि इस क्षेत्र में एक पुरातत्व संग्रहालय आजादी के बाद से ही अस्तित्व में है, लेकिन फिर भी कई महत्वपूर्ण धरोहरें सुरक्षा और संरक्षण के इंतजार में हैं.

नागौरी की पहाड़ी पर ऐतिहासिक घोड़ी

सांची की प्रसिद्ध नागौरी पहाड़ी भी ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है. इस पहाड़ी पर एक हजारों साल पुरानी पत्थर की घोड़ी खड़ी हुई है, जो आज भी वहाँ के ग्रामीणों की देखरेख में सुरक्षित है. कहा जाता है कि इस घोड़ी के साथ एक छोटे बच्चे की प्रतिमा भी हुआ करती थी, जो सालों पहले गायब हो चुकी है.

आवश्यकता है उचित संरक्षण की

पुरातत्व विभाग की लापरवाही के कारण न जाने कितनी धरोहरें अब तक नष्ट हो चुकी हैं. प्रशासन और पुरातत्व विभाग को चाहिए कि वे इस अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाएँ. अगर सही समय पर उचित कार्यवाही नहीं की गई, तो यह अनमोल धरोहरें इतिहास बनकर रह जाएंगी.

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