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MP में उच्च शिक्षा की बदहाली; 1.5 लाख छात्रों को पढ़ा रहे सिर्फ 39 शिक्षक, 349 निजी कॉलेजों में 22 प्राचार्य

Jiwaji University: जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने निजी कॉलेजों से शिक्षकों और प्राचार्यों की सैलरी का बैंक स्टेटमेंट मांगा था, लेकिन 349 में से केवल 22 कॉलेजों ने ही दस्तावेज जमा किए हैं, वहीं सिर्फ 8 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने 39 शिक्षकों की सैलरी बैंक के माध्यम से दी होने का प्रमाण दिया है. इससे पता चलता है कि अधिकांश निजी कॉलेज सिर्फ कागजों पर शैक्षणिक स्टाफ दिखा कर विवि से संबद्धता हासिल कर संचालित हो रहे हैं.

MP में उच्च शिक्षा की बदहाली; 1.5 लाख छात्रों को पढ़ा रहे सिर्फ 39 शिक्षक, 349 निजी कॉलेजों में 22 प्राचार्य
MP में उच्च शिक्षा की बदहाली; 1.5 लाख छात्रों को पढ़ा रहे सिर्फ 39 शिक्षक, 349 निजी कॉलेजों में 22 प्राचार्य

Higher Education in MP: वैसे तो ग्वालियर की जीवाजी यूनिवार्सिटी मध्यप्रदेश मे ऐसी इकलौती है जिसे नैक से डबल प्लस का दर्जा मिला है. लेकिन इसके अधीन संचालित निजी कॉलेजों मे शैक्षणिक स्तर के हालात क्या है, इसकी पोल खुद जीवाजी यूनिवर्सिटी द्वारा जारी नई प्राविधिक सीनियारिटी लिस्ट ने खोल दी है. आंकड़े बताते हैं कि ग्वालियर-चम्बल अंचल के 349 निजी कॉलेजों में से सिर्फ 22 कॉलेजों में ही स्थाई प्राचार्य पदस्थ हैं, इतना ही नहीं इन कॉलेजों के 1.50 लाख छात्र अध्ययरत है जबकि इनको  पढ़ाने के लिए सिर्फ 39 ही स्थाई टीचर कार्यरत हैं. ऐसे में सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है. बावजूद यह कॉलेज रहस्यमी ढंग से लगातार विवि से सम्बद्धता हासिल कर रहे हैं, जिस पर छात्र संगठन सवाल उठा रहे हैं.

विवादों से पुराना नाता

ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी का विवादों और घोटालों से पुराना नाता है. यह विवि हर स्तर पर भारी अनियमितता, नियुक्ति से लेकर संबद्धता तक फर्जीवाड़ा, निजी कॉलेजों की सिस्टम से मिलीभगत और मूल्यांकन मे गड़बड़ी जैसे आरोपों के कारण हमेंशा चर्चा और सुर्खियों में रहती है. हाल ही में विवि द्वारा जारी की गई अपनी नई प्राविधिक सीनियरिटी लिस्ट ने निजी कॉलेजों में शिक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है. इसके अनुसार विवि के अधीन संचालित ग्वालियर अंचल के 349 निजी कॉलेज हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 22 कॉलेज ही ऐसे हैं, जिनमें कि प्राचार्य पदस्थ हैं.

पढ़ाई का अंदाजा तो इस बात से ही लगाया जा सकता है कि इन कॉलेजों में 1.50 लाख स्टूडेंट है, जबकि ऐसे छात्रों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 39 शिक्षक ही मौजूद हैं. ऐसे में सीधा असर छात्रों के भविष्य पर पड़ रहा है. समझा जा सकता है कि अंचल के इन मोती फीस वसूलने वाले निजी कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों को कितनी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही होगी. ऐसे में जीवाजी यूनिवर्सिटी के अफसरों पर अब सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि इन कॉलेजों को तमाम खामियों के बावजूद हर साल विवि से सम्बद्धता मिल रही है. 

जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने निजी कॉलेजों से शिक्षकों और प्राचार्यों की सैलरी का बैंक स्टेटमेंट मांगा था, लेकिन 349 में से केवल 22 कॉलेजों ने ही दस्तावेज जमा किए हैं, वहीं सिर्फ 8 कॉलेज ऐसे हैं, जिन्होंने 39 शिक्षकों की सैलरी बैंक के माध्यम से दी होने का प्रमाण दिया है. इससे पता चलता है कि अधिकांश निजी कॉलेज सिर्फ कागजों पर शैक्षणिक स्टाफ दिखा कर विवि से संबद्धता हासिल कर संचालित हो रहे हैं.

एनएसयूआई ने लगाए आरोप

इस मामले पर एनएसयूआई का कहना है कि खुद जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रबंधन इसलिए भी कटघरे में है. संगठन के प्रदेश पदाधिकारी राम सेवक सिंह गुर्जर कहते है कि थोड़े से लालच के लिए विवि के अफसर स्टूडेंट ही नहीं देश के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे. इतनी भयाबय खामियों के बावजूद मान्यता देने का खेल जारी है. वे कहते है कि जब   बरकतुल्लाह विवि, भोपाल परिनियम 28/17 के नियुक्त शिक्षकों की सूची पोर्टल पर अपलोड कर चुका है, लेकिन जीवाजी यूनिवर्सिटी ने अब तक यह काम नहीं किया है.

विवि ने क्या कहा?

इस मामले में जीविवि ले पीआरओ डॉ विमलेन्द्र सिंह राठौड़ इन आरोपों को बेबुनियाद बताते है. वे दावा करते है कि विवि से सम्बद्धता देने के अपने नियम और मानक है. उन्हें पूरा करने के बाद ही सम्बंद्धता दी जाती है. निरीक्षण में खामी मिलने पर कॉलेज प्रबंधन को सूचित कर उन्हें दूर करने को कहा जाता है और अगर वे ऐसा नहीं करते तो सम्बंद्धता रद्द भी कर दी जाती है.

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