MP हाई कोर्ट नर्मदा पर सख्त, अवैध कॉलोनी तानने पर लगाई रोक, PS से लेकर SDO, तहसीलदार व कॉलोनाइजर को नोटिस

Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के तट से 300 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के पक्के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियों को निर्देशित किया गया है. यदि इस नियम का उल्लंघन किया जाता है, तो संबंधित व्यक्तियों या संस्थाओं पर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है.

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Madhya Pradesh High Court: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति (Justice) विनय सराफ की युगलपीठ ने नर्मदा (Narmada River) कॉरिडोर मार्ग पर अवैध कालोनी (Illegal Colony on Narmada River Corridor Route) बनाने पर रोक लगा दी है. इस अंतरिम आदेश के साथ ही प्रमुख सचिव, कलेक्टर (Collector), एसडीओ (SDO), तहसीलदार, निगमायुक्त व कालोनाइजर को नोटिस जारी किए गए हैं. इन लाेगों को जवाब पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है.

इन्होंने रखा पक्ष

जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी महेंद्र दीक्षित की ओर से अधिवक्ता राजमणि मिश्रा ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि नर्मदा तट गौरीघाट व उमाघाट के समीप पुराने रेलवे स्टेशन के सामने वाली भूमि नर्मदा काॅरिडोर के लिए निर्धारित है. इसके बावजूद काॅलोनाइजर जगदीश पटेल ने मनमाने तरीके से भूखंड काटकर कालोनी का निर्माण कर दिया है. आश्चर्य की बात तो यह है कि खसरा नंबर-171 की भूमि पर निर्माण से पूर्व न तो विधिवत स्वीकृति ली गई और न ही कोई योजना बनाई गई. पूर्व में एसडीओ व निगामायुक्त निर्माण को अवैध पाकर कार्रवाई के निर्देश जारी कर चुके हैं. इसके बावजूद दो वर्ष से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है. आलम यह है कि गौरीघाट व उमाघाट के ठीक ऊपर की ओर 100 से अधिक भैंसों का पालन किया जा रहा है. इस अवैध डेयरी की वजह से प्रदूषण हो रहा है और मलेरिया-डेंगू आदि का खतरा बना हुआ है. इसीलिए व्यापक जनहित में हाई कोर्ट की शरण ली गई है. हाई कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश के जरिए निर्माण पर रोक लगा दी. साथ ही जवाब मांगा लिया.

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मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें से एक है नदी के तट से एक निश्चित दूरी तक पक्के निर्माण पर रोक लगाना. नर्मदा नदी, जो मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मानी जाती है, धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस नदी की पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है.

नर्मदा नदी के तट पर निर्माण प्रतिबंध के पीछे कारण 

1. पर्यावरणीय संरक्षण :  नर्मदा नदी के आसपास का क्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. पक्के निर्माण से नदी के प्राकृतिक प्रवाह और आसपास की वनस्पति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे स्थानीय वन्य जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हो सकता है.

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2. जल प्रदूषण रोकना : पक्के निर्माण और शहरीकरण से नदी में कचरा, अपशिष्ट और प्रदूषक तत्वों का प्रवेश हो सकता है, जो जल की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। इसलिए, इन गतिविधियों को रोकने के लिए 300 मीटर की दूरी का प्रतिबंध लगाया गया है.

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3. नदी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की रक्षा : नर्मदा नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है. तट पर पक्के निर्माण से इन सांस्कृतिक स्थलों की पवित्रता को खतरा हो सकता है.

कानून और दिशा-निर्देश

मध्य प्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी के तट से 300 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार के पक्के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. इस आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन और अन्य सरकारी एजेंसियों को निर्देशित किया गया है. यदि इस नियम का उल्लंघन किया जाता है, तो संबंधित व्यक्तियों या संस्थाओं पर कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है. इस नियम का उद्देश्य नर्मदा नदी के प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व को संरक्षित करना और उसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित बनाए रखना है.

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