Indore Herbal Colors: होली पर्व का रंगों के साथ सीधा संबंध होता है. लेकिन, आजकल बाजार में केमिकल रंग (Chemical Colors) और गुलाल की बिक्री बढ़ गई है. लोग इन रंगों से परहेज करते हैं और हर्बल रंगों (Herbal Colors) को यूज करना चाहते हैं. वर्षों पहले वनवासियों द्वारा नेचुरल रंगों से जो होली खेली जाती थी वह रंग अब बाजार में बिक्री के लिए भी उपलब्ध है. इसी को आगे बढ़ाते हुए इंदौर के वन विभाग ऑफिस (Indore Forest Department Office) में हर्बल फूलों (Herbal Flowers) से गुलाल और रंग बनाए जाते हैं. इसके बाद इसे स्टॉल लगाकर वहीं बेचा जाता है.
इस फूल से बनाए जाते हैं रंग-गुलाल
मालवा निमाड़ में बहुत भारी मात्रा में पाए जाने वाले पलाश यानी टेसू के फूल की मदद से यहां के जिला वन कार्यालय में रंग और गुलाल बनाए जाते हैं. हिंदू धर्म में भी इस फूल की बहुत मान्यता है. कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ को बुखार आने पर टेसू के फूलों के रस से स्नान कराया जाता है. इसी परंपरा के आधार पर इंदौर वन विभाग होली के लिए टेसू के फूल से प्राकृतिक गुलाल तैयार कर रहा है, जो होली खेलने वालों के लिए बहुत ही कम कीमत पर उपलब्ध है.
बहुत कम दाम पर मिलते हैं हर्बल रंग
इंदौर में हर साल की तरह इस साल भी वन विभाग टेसू के फूलों से बने हर्बल गुलाल शहर वासियों को उपलब्ध कराने जा रहा है. इसकी बिक्री भी वन विभाग द्वारा परिसर में स्टॉल लगाकर शुरू कर दी गई है. इंदौर जिले के शहर चोरल से इन रंगों का स्टॉल लगाने वाली रोशनी कहती है कि वह इन रंगों का मूल्य प्रति पैकेट चालीस रुपये ले रहे हैं. यह राशि वन विभाग द्वारा ही तय की जाती है. वैसे तो बाजारों में जो कलर इन दिनों मिल रहे है वो स्किन को काफी नुकसान पहुंचाते हैं.
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हेल्दी होली खेलने की वन विभाग की अपील
इंदौर का वन विभाग लोगों से सूखी होली खेलने और पानी का बचाव करने की अपील भी करता है. वन विभाग के द्वारा लगाए गए स्टॉल को फिलहाल अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. बड़ी संख्या में लोग इन टेसू के फूलों से बने हर्बल गुलाल को लेने के लिए पहुंच रहे हैं. इन रंगों की मांग इंदौर के अलावा अन्य शहरों में भी हो रही है.
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