एक 30 वर्षीय होटल संचालक ने गुरुवार को खुद को गोली मारकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि होटल संचालक ने आत्महत्या से पहले छोड़े सात पन्नों के सुसाइड नोट में लिखा कि उसने काफी पहले सोच लिया था कि वह 30 साल की उम्र तक ही जीवित रहेगा और पत्र में व्यक्त उसके विचारों से संदेह है कि वह किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा था.
अविवाहित था होटल संचालक
सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) धैयशील येवले ने ‘‘पीटीआई-भाषा'' को बताया कि हीरा नगर क्षेत्र में 30 साल के होटल संचालक का खून से सना शव उसके घर में मिला और पास ही वह पिस्तौल भी बरामद हुई जिससे उसने खुद को गोली मारी. उन्होंने बताया कि अविवाहित होटल संचालक ने खुदकुशी से पहले सात पन्नों का पत्र छोड़ा है, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए किसी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया है और अपनी मर्जी से यह कदम उठाने की बात लिखी है.
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2016 में खऱीदी थी पिस्तौल
एसीपी ने बताया, ‘‘इस व्यक्ति ने पत्र में लिखा कि उसने आठ-नौ साल पहले ही सोच लिया था कि वह 30 साल की उम्र तक ही जीवित रहेगा. उसने यह भी लिखा कि उसके जीवन में कोई परेशानी नहीं थी.'' उन्होंने बताया कि होटल संचालक ने अपने पत्र में लिखा कि वह जिस पिस्तौल से आत्महत्या करने जा रहा है, वह उसने एक शख्स से वर्ष 2016 में ‘‘आत्मरक्षा के लिए'' खरीदी थी. उन्होंने बताया कि पत्र में दावा किया गया है कि जिस व्यक्ति से यह हथियार खरीदा गया था, वह पहले ही मर चुका है.
पुलिस कर रही जांच
एसीपी ने बताया, 'आत्महत्या से पहले गए छोड़े गए पत्र में होटल संचालक के व्यक्त विचारों से लगता है कि वह किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा था. हालांकि, हम तमाम पहलुओं पर उसकी मौत की विस्तृत जांच कर रहे हैं.' एक अधिकारी ने बताया कि होटल संचालक की आत्महत्या के बाद पुलिस दल जब मौके पर पहुंचा तो दंग रह गया क्योंकि इस शख्स ने अपने कमरे में जगह-जगह हस्तलिखित संदेशों वाले अलग-अलग पोस्टर चिपका रखे थे. अधिकारी के मुताबिक इन संदेशों के जरिये होटल संचालक ने अपने परिजनों से कहा कि उसकी मौत के बाद उन्हें सबसे पहले किस व्यक्ति को फोन करना है और उसके कमरे के किसी भी सामान को छूना नहीं है.
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मनोचिकित्सक डॉ. वीएस पाल ने कहा कि वह होटल संचालक की आत्महत्या की पूरी कहानी जानने के बाद ही इस सिलसिले में कोई टिप्पणी कर सकते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में देखा गया है कि अपने मन में आत्महत्या का विचार रखने वाले लोग किसी न किसी माध्यम से इसे जाहिर करते हैं. उन्होंने कहा, 'यह परिवार और समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह अवसादग्रस्त लोगों के जताए जा रहे आत्महत्या के संकेतों को समय रहते समझे और उन्हें खुशहाल जिंदगी के लिए प्रेरित करे.'
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