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Gwalior Rape Case: मासूम से रेप और हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 13 दिन में ही सुना दी थी सजा, अब सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया निर्णय 

Supreme Court on Gwalior Rape Case: ग्वालियर में कुछ साल पहले अगवा करके 6 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को कम करते हुए 20 साल के कारावास में बदल दिया है. आइए आपको पूरा मामला बताते है. 

Gwalior Rape Case: मासूम से रेप और हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 13 दिन में ही सुना दी थी सजा, अब सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया निर्णय 
जेल में बंद है आरोपी

Gwalior Crime News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर में 6 साल पहले एक विवाह समारोह से अगवा कर 6 वर्ष की मासूम बच्ची से रेप (Small girl Rape) और हत्या करने के बहुचर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नया फैसला सुनाया है. मामले में अभियुक्त को ट्रायल कोर्ट (Gwalior Trail Court) से मिली फांसी की सजा के प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की फांसी को 20 वर्ष के कठोर कारावास में बदल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब इसके खिलाफ किसी प्रकार की छूट के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. खास बात यह है कि इस मामले में राजकोट में आरोपी को सिर्फ 13 दिन की सुनवाई के बाद ही फांसी की सजा सुना दी गई थी. तब से आरोपी ग्वालियर की सेंट्रल जेल में बंद है. 

ये थी पूरी घटना

घटना 14 जुलाई 2018 को ग्वालियर के पहाड़िया इलाके में हुई थी. यहां एक शादी समारोह में अपने परिवार के साथ आई 6 साल की मासूम बच्ची को आरोपी बहला फुसलाकर शादी समारोह से पहले बाहर ले गया और फिर कैंसर पहाड़ी के जंगल में ले जाकर उसके साथ रेप करने के बाद उसकी नृशंस हत्या कर दी और फिर उसके शव को जंगल में ही फेंक दिया. इसके बाद पहले परिजनों ने बच्ची को आसपास ढूंढा, लेकिन जब नहीं मिली तो आसपास के घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे चेक किए गए. उसमें एक युवक बच्ची को जंगल की तरफ ले जाते हुए नजर आया. देर रात से पुलिस ने जब सर्चिंग शुरू की तो झाड़ियां में बच्ची का शव मिला था.

13 दिन में ट्रायल कोर्ट ने की थी सुनवाई

ग्वालियर पुलिस ने इस मामले की तफ्तीश की और फटाफट चालान पेश कर दिया. मामले में कुल 33 लोगों की गवाही हुई. ट्रायल कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई सिर्फ 13 दिन में पूरी कर ली और 27 जुलाई 2018 को आरोपी को फांसी की सजा सुना दी गई. फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 25 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फांसी की सजा की पुष्टि कर दी. जिसे जितेंद्र ने आगे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला बदल दिया है.

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इन दलीलों को कोर्ट में किया था पेश

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आरोपी जीतेन्द्र के वकील रणवीर सिंह यादव ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता की पहचान साबित करने में विफल रहा. उन्होंने कहा कि घटना के समय अपीलकर्ता की उम्र महज 24 साल थी, जो काफी कम है. उसकी कोई पूर्व आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, इसलिए मृत्युदंड को कम सजा में बदल देना चाहिए. अभियोजन पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन अपीलकर्ता के पहले किसी आपराधिक कृत्य में शामिल न होने और उसकी महज 24 वर्ष की उम्र होने से उसके सुधार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने माना कि वह फांसी को निश्चित सजा में बदलने का हकदार है. इसलिए उसकी अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है. 

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