नाबालिग के साथ रेप के मामले में ग्वालियर की विशेष न्यायालय ने आरोपी को 20 साल की कैद की सजा सुनाई है. खास बात ये है कि पीड़िता और उसके परिजन ट्रायल के दौरान अपने बयान से मुकर गए थे, लेकिन इसके बावजूद घटना के अनुसंधान के दौरान मिले वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने ये सजा सुनाई है.
क्या है पूरा मामला?
घटना 2 अक्टूबर, 21 की है, जब 13 वर्षीय नाबालिग 1:00 बजे पेशाब करने के लिए घर से बाहर निकली थी तभी भूरा उर्फ रिंकू गुर्जर ने उसे दबोच लिया. वह चिल्ला न सके इसलिए उसका मुंह दबा लिया और खींचते हुए पास ही बनी सुनसान टपरी में ले गया और वहां उसके साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया. इस दौरान आरोपी रिंकू ने पीड़िता को धमकाया कि अगर इस बारे में किसी के सामने जुबान खोली तो वो उसे जान से मार देगा, लेकिन पीड़िता ने ये बात अपने माता-पिता को बताई. जिसके बाद परिजन उसे भंवरपुरा थाना लेकर पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराई. जिसके बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और इस मामले में सभी के बयान दर्ज कराए और वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाए.
पीड़िता और परिजन पलटे फिर भी कोर्ट ने दी सजा
एडीपीओ ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने जब अनुसंधान किया तो तो पीड़िता और परिजनो ने दुष्कर्म होने की बात कही थी, लेकिन जब उन्होंने कोर्ट में बयान दिए तो मुकर गए और कहा कि रेप नहीं हुआ था और पुलिस ने उनसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाएं थे. हालांकि अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में एफएसएल की रिपोर्ट पेश की, जिससे ये साबित हुआ कि पीड़िता के कपड़ों पर जो स्पर्म मिले थे वो रिंकू के ही थे. साथ ही पीड़िता के डीएनए टेस्ट में भी दुष्कर्म (वैजाइना स्वाब) की पुष्टि हुई. इन साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को 20 साल की कैद की सजा सुनाई.
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