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This Article is From Sep 21, 2023

Gwalior news: 500 साल पुराना मंदिर है बेहद खास, दर्शन के लिए देशभर से आते हैं भक्त

Gwalior: जैसा कि हम सब जानते हैं कि इस वक्त पूरे देश में गणेशोत्सव की धूम है. जगह-जगह पर गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. यही नहीं, गणेश मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्वालियर का पांच सौ साल पुराने एक गणेश मंदिर बेहद खास है.

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Gwalior news: 500 साल पुराना मंदिर है बेहद खास, दर्शन के लिए देशभर से आते हैं भक्त

Gwalior news: जैसा कि हम सब जानते हैं कि इस वक्त पूरे देश में गणेशोत्सव की धूम है. जगह-जगह पर गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं. यही नहीं, गणेश मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्वालियर का पांच सौ साल पुराने एक गणेश मंदिर बेहद खास है. इस मंदिर की ख्याति न केवल ग्वालियर-चम्बल अंचल बल्कि पूरे देश भर में है. यहां पर महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात से लेकर देश के तमाम राज्यों से भक्त दर्शन करने पहुंचते है.

मोटे गणेश जी के नाम से मशहूर इस मंदिर की खास बात ये है कि यहां पर अनेक व्यापारी परिवार ऐसे है जो पीढ़ी दर दर पीढ़ी अपनी दुकान , प्रतिष्ठान या शोरूम खोलने से पहले इस मंदिर पर जाकर गणेश जी के सामने अपनी चाबी रगड़ते है. जिसके बाद किसी शुभ कार्य की शुरूआत करते है. 

मेवाड़ रियासत से आये थे मोटे गणेश 

मोटे गणेश जी का मंदिर ग्वालियर के हृदयस्थल महाराज बाड़ा के पास खासगी बाजार में बना है. यह ग्वालियर का सबसे बड़ा व्यावसायिक केंद्र है. सराफा बाजार से लेकर सभी बड़ी बाजार इसके आसपास है. यहां पर आबादी घनी बताई जाती है. यह प्रतिमा इंदौर के बड़े गणेश जी की तरफ ही काफी वृहद और विस्तारित है. बताया जाता है कि इसे लगभग पांच सौ साल पहले मेवाड़ रियासत से लाकर यहां स्थापित किया गया था. वहीं इसे लेकर एक किंवदंती है कि यह प्रतिमा जमीन से स्वयं प्रकट हुई थी.  

सिंधिया परिवार ने कराया जीर्णोद्धार 

कहा जाता है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार (मरम्मत कार्य) सिंधिया शासकों ने कराया. ग्वालियर के तत्कालीन शासक इस मंदिर के नजदीक ही गोरखी महल में रहते थे. जब उन तक इस मंदिर की ख्याति पहुंची तो तत्कालीन महाराज जीवाजी राव सिंधिया प्रथम खुद अपनी महारानी के साथ यहां दर्शन के लिए आए और उन्होंने खुद ही इस मंदिर का मरम्मत कार्य कराया.

मराठा पगड़ी पहनते हैं मोटे गणेश 

आपको बता दें कि मोटे गणेश जी महाराजा की मुद्रा में रहते है. सिंधिया शासनकाल से ही यह देश का इकलौते गणेश है जो अपने श्रृंगार में वही मराठा पगड़ी पहनते हैं जो मराठा पेशवा और सिंधिया शासक पहनते थे. आज भी सिंधिया परिवार दशहरा पर और अपने अन्य शाही पारिवारिक आयोजनों में यही विशेष पगड़ी पहनते है. मोटे गणेश जी भी परंपरानुसार वही पगड़ी धारण करते हैं.

भक्तों की मनोकामना होती है पूरी 

यहां देशभर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का कहना है मोटे गणेश जी उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है. इनके दर्शन करने भर से कष्ट का निवारण और समस्याओं का समाधान हो जाता है. सैकड़ो वर्षों और कई पीढ़ियों से मोटे गणेश भगवान की पूजा और सेवा कर रहे पुजारी परिवार के वर्तमान सेवक जगदीश शर्मा कहते है कि यहां की मान्यता है कि निरंतर 11 बुधवार मोटे गणेश जी पर दूर्वा अर्पण कर भगवान के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी हो जाती है.

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