
Jabalpur News in Hindi: हैंडलूम और रेडीमेड गारमेंट उद्योग में आगे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) का जबलपुर शहर एक समय अपनी "जबलपुरी साड़ी" के लिए देशभर में फेमस था. आज भी शहर में पावरलूम से साड़ियां, लूंगी, गमछे और चादरें तैयार की जाती हैं. करीब 300 से अधिक पावरलूम कारखाने और 1000 से अधिक रेडीमेड गारमेंट निर्माण इकाइयां यहां सक्रिय हैं. ऐसे में तकनीकी सहयोग और प्रशिक्षण देने वाला सरकारी पावरलूम सेवा केंद्र इस क्षेत्र के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन यह केंद्र अब खुद ही संकट में है. गोहलपुर स्थित यह सेवा केंद्र वर्षों से बंद पड़ा है. न तो यहां कोई प्रशिक्षण गतिविधि हो रही है, और न ही मशीनों की देखरेख. इतना ही नहीं, बीते तीन साल से केंद्र किराया भी नहीं चुका पा रहा है.

सरकारी पावरलूम की स्थिति खस्ता
प्रशिक्षण लेने अब कोई नहीं आता
केंद्र के प्रभारी अधिकाय संदीप दुबे ने NDTV को बताया कि पहले यह केंद्र टेक्सटाइल में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं के लिए ट्रेनिंग का बड़ा केंद्र था. लगभग 350 लोगों ने यहां से प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिनमें से करीब 250 लोगों को रोजगार भी मिला है. वे लोग जो यहां से प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं, वह नासिक, जबलपुर, बनारस, इंदौर और कई अन्य जगहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं कई युवाओं ने जबलपुर में ही अपनी पावर लूम लगाई है, जो कई अन्य युवाओं को भी रोजगार दे रहे हैं. यह केंद्र आत्म निर्भरता के लिए महत्वपूर्ण केंद्र था.
जंग खा रही है मशीनें
जबलपुर के इस सरकारी पावरलूम में अब मशीनें जंग खा रही हैं और केंद्र वीरान पड़ा है. कोई प्रशिक्षण लेने अब यहां नहीं आता, जबकि यहां यह योजना थी कि जो प्रशिक्षण के दौरान कपड़ा बनाया जाएगा, उसे बाजार में बेचकर इस केंद्र को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. उसे प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को भी कुछ पैसा मिल सकता था.
तीन साल से किराया नहीं चुकाया
पावरलूम सेवा केंद्र का भवन भारत सहकारी समिति का है, जिसका मासिक किराया ढाई हजार रुपये है. तीन वर्षों से यह किराया नहीं दिया गया है. समिति के सदस्य कई बार सरकार से भुगतान की मांग कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है. समिति के उपाध्यक्ष मतलूब अंसारी बताते हैं कि कई बार सरकार से पत्राचार किया जा चुका है जबलपुर के जिला उद्योग केंद्र को भी लिखा जा चुका है की समिति को किराया दिया जाए लेकिन अभी तक किराया नहीं मिल रहा है.
उद्यमियों को नहीं मिल रही सुविधा
स्थानीय उद्यमियों और बुनकरों के लिए यह केंद्र तकनीकी सहायता का प्रमुख स्रोत था. यहां यार्न बैंक और सीएफएफसी की सुविधा दी जानी थी, जिससे कपड़ा उत्पादन में मदद मिलती. लेकिन, केंद्र के बंद होने से स्थानीय उद्योगों को भारी नुकसान हो रहा है.
प्रशासनिक लापरवाही
सूत्रों के अनुसार, केंद्र को पुनः शुरू करने के लिए जिला उद्योग केंद्र द्वारा प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन 2022-23 और 2024-25 के बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया. संचालक मंडल की बैठकों में भी इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया गया. सरकारी पावरलूम सेवा केंद्र की यह दुर्दशा सरकार की उपेक्षा और विभागीय उदासीनता का स्पष्ट उदाहरण है. अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो क्षेत्र का टेक्सटाइल उद्योग और अधिक संकट में पड़ सकता है.
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सांसद उठाएंगे मुद्दा
जबलपुर के सांसद आशीष दुबे ने एनडीटीवी से कहा कि यह केंद्र जबलपुर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम केंद्र सरकार के संबंधित विभागों से चर्चा करेंगे और कोशिश करेंगे कि जल्दी ही यह केंद्र न सिर्फ शुरू हो, बल्कि आधुनिक मशीनों के साथ शुरू हो. इस केंद्र से जबलपुर की रेडीमेड उद्योग को और जबलपुर के नवयुवकों को बहुत सहायता मिलेगी.
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