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Gehu Kharidi: गेहूं खरीदी में बड़ा अड़ंगा, एक ही बैंक खाते की अनिवार्यता पर किसानों ने उठाए सवाल, जानें पूरा मामला

Ashoknagar Gehu Kharidi 2025 Registration: मध्य प्रदेश के अशोकनगर में समर्थन मूल्य पर होने वाली गेहूं की खरीदी के पंजीयन में सहकारी बैंक खाता अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता किसानों की परेशानी बन गई है. किसान संगठनों ने इसपर आपत्ति जताते हुए प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग की है.

Gehu Kharidi: गेहूं खरीदी में बड़ा अड़ंगा, एक ही बैंक खाते की अनिवार्यता पर किसानों ने उठाए सवाल, जानें पूरा मामला

Gehu Kharidi 2025 Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 15 मार्च से शुरू होगी. इसके लिए ऑनलाइन पंजीयन 20 जनवरी, 2025 से शुरू हो चुका है और यह 31 मार्च, 2025 तक जारी रहेगा. इधर, मध्य प्रदेश के अशोकनगर में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए पंजीयन में समिति प्रबंधकों द्वारा किसानों से सहकारी बैंक का खाता मांगा जा रहा है. जिन किसानों का सहकारी बैंक में खाता नहीं है उनको नया खाता खोलने के लिए कहा जा रहा है. 

सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता खत्म करने की मांग

बता दें कि सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता किसानों की परेशानी बन गई है. ऐसे में परेशान किसानों ने इसके खिलाफ आवाज उठा दी है. दरअसल, सयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर ज्ञापन दिया है और सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता को खत्म करने की मांग की.

किसानों का कहना है कि सहकारी बैंक में कभी भी खाते में जमा रकम का समय पर भुगतान नहीं होता है और रकम निकासी के लिए किसानों को कई-कई दिनों तक बैंक के चक्कर काटने पड़ते हैं. दरअसल, समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए इन दिनों किसान पंजीयन करा रहे हैं, लेकिन बीते दो दिन पहले बैंक खातों को लेकर किसानों के लिए नया फरमान जारी कर दिया गया. 

बैंक खाते को लेकर किसानों के लिए नया फरमान

पंजीयन कराने केंद्र पर पहुंच रहे किसानों से समिति प्रबंधकों ने पंजीयन में सहकारी बैंक का खाता लगाने के लिए कह रहे हैं. बता दें कि 5 फरवरी को जिला सहकारी केंद्रीय बैंक गुना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अरस्तु प्रभाकर ने सभी शाखा प्रबंधकों को निर्देशित किया है कि रबी उपार्जन 2025-26 के लिए किसान पंजीयन में सहकारी बैंक खाता अनिवार्य किया जाए. इस निर्देश के बाद से ही सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता किसानों के लिए परेशानी बन गई है.

उपभोक्ताओं के बीच विश्वास खो चुका है सहकारी बैंक

मूल रूप से किसानों के लिए ही बनाया गया सहकारी बैंक अशोकनगर जिले में उपभोक्ताओं खासकर किसानों का भरोसा पूरी तरह से खो चुका है. इस बैंक की जिले भर में कई बार गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं. चंदेरी में तो हजारों उपभोक्ताओं के करोड़ों की जमा पूंजी आज भी दांव पर लगी हुई है. वहीं मुंगावली में किसानों को बीते वर्षाें में बेचे गए गेहूं की भुगतान राशि प्राप्त करने के लिए दो-दो महीने तक लग गए थे. इस बैंक के प्रति उपभोक्ताओं का विश्वास खत्म होने के कारण किसान इस शर्त का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

सहकारी बैंक खाते की अनिवार्यता होने से किसानों को हो रही समस्या

अनावश्यक दस्तावेजी कार्य और समय की बर्बादी: जिन किसानों के पहले से अन्य बैंकों में खाते हैं उन्हें दोबारा खाता खुलवाने के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है.

नकद निकासी की समस्या: सहकारी बैंकों में निकासी की सीमा कम होने के कारण किसानों को अपने ही पैसे निकालने में समस्या आ रही है.

बैंकिंग सुविधाओं की कमी: सहकारी बैंकों की शाखाएं सीमित होने से ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को बार-बार बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

भुगतान प्रक्रिया में विलंब: सहकारी बैंकों की धीमी कार्यप्रणाली के कारण किसानों को उनके भुगतान समय पर नहीं हो रहे हैं.

प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग की 

संयुक्त किसान मोर्चा ने मांग की है कि किसानों को किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण बैंक या निजी बैंक के खाते का उपयोग करने की अनुमति दी जाए और सहकारी बैंक में खाता खोलने की अनिवार्यता को तत्काल समाप्त किया जाए. साथ ही प्रशासन से इस पर शीघ्र निर्णय लेने की अपील की. 

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