
MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के रायसेन से एक बड़ी खबर सामने आई है. जिले का शांत कस्बा मेहगांव इन दिनों सुर्खियों में है, दरअसल बीते दिन गौ तस्करी के आरोप में भीड़ ने दो युवकों को घेर लिया था. इस दौरान भीड़ इतनी हिंसक हो गई थी कि दोनों युवकों को बुरी तरह से पीटने लगी.दोनों घायल हो गए. कई दिनों तक भोपाल के हमीदिया अस्पताल में इलाज चला.
मिली जानकारी के अनुसार, 4 से 5 जून की रात को दो युवक, जिनमें से एक का नाम जुनैद बताया गया है, 6 से 10 गायों को लेकर कहीं जा रहे थे. तभी रास्ते में उन्हें कुछ लोगों ने रोका और गौ तस्करी का आरोप लगाते हुए घेर लिया. देखते ही देखते वहां एक उग्र भीड़ इकट्ठा हो गई. दोनों युवकों को निर्दयता से पीटा गया, इतना कि वे अधमरे हो गए.
भोपाल हमीदिया अस्पताल में जिंदगी की जंग और मौत की हार

पुलिस की मदद से दोनों युवकों को भोपाल के हमीदिया अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों को गंभीर हालत में ICU में भर्ती किया गया. जुनैद, जिनकी हालत लगातार नाजुक बनी रही, वेंटीलेटर पर थे और 17 जून को उन्होंने दम तोड़ दिया. दूसरा युवक अब भी आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है.
परिवार की चीख “मेरा बेटा निर्दोष था…कौन देगा जवाब?”
जुनैद के पिता का रो-रोकर बुरा हाल है. वो मजदूरी करता था, गायों को कहां ले जा रहा था, किसके लिए ले जा रहा था, सबकी जांच हो सकती थी. मगर भीड़ ने फैसला कर लिया कि उसे मरना चाहिए. ये कैसा देश बन रहा है?”
उनका सवाल आज हर संवेदनशील नागरिक से है, क्या शक के आधार पर अब लोगों को मार देना सामान्य हो गया है?
पुलिस की कार्रवाई: कुछ गिरफ्तार, कई फरार

NDTV से बातचीत में सांची थाना प्रभारी नितिन अहिरवार ने जानकारी दी. अब तक 3 से 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. 10 से 12 आरोपी अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश में विदिशा जिले में लगातार छापेमारी की जा रही है.
आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की गई है. लेकिन सवाल है – क्या इतनी बड़ी घटना के बाद भी सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होना पुलिस की विफलता नहीं है?
समाज के लिए गंभीर सवाल
मेहगांव की यह घटना कोई इकलौती नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में भीड़ द्वारा हिंसा (Mob Lynching) की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. गाय के नाम पर, धर्म के नाम पर, शक के नाम पर लोग मारे जा रहे हैं. ये घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था की असफलता हैं, बल्कि ये दर्शाती हैं कि लोगों का भरोसा न्याय प्रणाली से हटकर खुद के हाथों में इंसाफ लेने पर आ गया है.ऐसी घटनाएं सांप्रदायिक सौहार्द पर संकट बड़ा संकट है. साथ ही समाज में हिंसा बांटने का काम कर रही हैं.
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