
Farmers Protest: जबलपुर (Jabalpur) जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर पाटन तहसील में धरने पर बैठे किसान (Farmers) प्रशासन की बेरुखी से नाराज हैं. भारतीय किसान संघ (Bharatiya Kisan Sangh) ने प्रशासन को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर देंगे. अभी तक उनकी मांगें नहीं मानी गई हैं. उन्होंने ना सिर्फ धरना शुरू किया है बल्कि अब तो वे रात का खाना भी धरना स्थल पर बना रहे हैं. यह देखकर लग रहा है कि किसान अब आसानी से मानने वाले नहीं हैं और लंबी लड़ाई की तैयारी करके आए हैं.
किसानों का आरोप है कि जिला प्रशासन की ओर से धान खरीदी केंद्रों पर पर्याप्त व्यवस्था ना होना, बारदाना की कमी, परिवहन व भंडारण में अव्यवस्था, सर्वेयरों की मनमानी, वेयर हाउस लिंकेज, स्लॉट बुकिंग में आ रही समस्या, सर्वर की समस्या, ब्लैक लिस्टेड वेयर हाउस में रखे किसानों के धान की खरीदी शुरू न होना, खरीदी की तिथि बढ़ाने सहित कई समस्याएं हैं.

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धान से निकलने लगा है अंकुर
भारतीय किसान संघ के राष्ट्र प्रचार प्रमुख राघवेंद्र सिंह पटेल का कहना है कि जबलपुर जिले में धान खरीदी प्रारंभ होनी थी. 121 केंद्र बनाए जाने थे लेकिन शासन ने मात्र 86 केंद्र बनाए हैं जिसके कारण समय पर किसानों की उपज नहीं खरीदी जा रही है. आज स्थिति यह है कि मौसम खराब हो रहा है, पानी बरस रहा है और सरकार कहती है कि हम पूरी तैयारी कर रहे हैं लेकिन जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा है. लाखों क्विंटल धान खुले में पड़े हुए हैं, इनकी कोई व्यवस्था नहीं है. किसान परेशान हैं कि उसके धान का क्या होगा. शासन से बात करते हैं तो उनका कहना है कि ऑर्डर निकल गया है, गुणवत्ता के हिसाब से खरीदी की जा रही है. गुणवत्ता की बात करेंगे, मौसम खराब है. अभी पानी है, नमी आ जाएगी. कुछ जगह तो किसानों के धान में अंकुर निकल आया है. गुणवत्ता की बात करेंगे तो किसान तो मर गया, उसकी जिम्मेदारी किसकी है?

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धीमी चल रही है धान की खरीदी
भारतीय किसान संघ जिला जबलपुर इकाई की ओर से शुक्रवार दोपहर से पाटन और मंझोली तहसील केंद्रों पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. जिला प्रशासन की ओर से 121 खरीदी केंद्र बनाए जाने थे लेकिन देर से हुई खरीदी और मात्र 86 खरीदी केंद्र बनने से धान की खरीदी धीमी चल रही है. धान का परिवहन और भंडारण भी बहुत धीमा चल रहा है. हजारों क्विंटल धान खुले में पड़े हैं. बारादाना की कमी है जिससे खरीदी की गति धीमी है. मौसम खराब होने के कारण धान में अंकुरण होने लगा है. किसान के धान वेयर हाउस में डंप हैं. 36 वेयरहाउस ब्लैकलिस्टेड किए गए थे. वहां भी धान खरीदी प्रारंभ नहीं हुई. वहां भी धान खुले में पड़े हैं. स्लॉट बुकिंग भी बंद है.